भारतीय साहित्य व संगीत में वसंत का है विशेष महत्व

पतझड़ के शुरुआत के साथ ही वसंत के आगमन का संकेत प्रकृति के बदलते परिवेश से लगने लगा है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 12, 2025 8:08 PM

ऋतुराज वसंत के आगमन से मौसम ने ली करवट

होली और रामनवमी इस ऋतु का सबसे महत्वपूर्ण पर्व

किशनगंज. पतझड़ के शुरुआत के साथ ही वसंत के आगमन का संकेत प्रकृति के बदलते परिवेश से लगने लगा है. पेड़-पौधे पुराने पत्ते छोड़, नए पत्ते धारण करने लगे हैं, नये फूलों से वातावरण सुगंधित हो रहा है,और खेतों में पीले-पीले सरसों के फूल लहराने लगे हैं. प्रकृति के नए श्रृंगार के साथ ही वसंती बयार भी बहने लगी है.

वसंत ऋतु के आते ही मौसम ने अपना रुख बदलना भी शुरू कर दिया है. चारों ओर का मौसम हरा-भरा हो गया है. जिधर देखिए हरियाली ही हरियाली है. खेतों में खिले सरसों के फूल लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगे हैं. वसंत पंचमी के बाद से वातावरण में वसंत ऋतु की खुमारी छाने लगती है. जो होली के बाद तक अनवरत जारी रहती है.मौसम सुहाना हो गया है. वसंत ऋतु की शुरूआत के साथ कभी मौसम सुहाना रहा तो कभी हल्की धूप तो कभी सर्दी का आलम है. खिली धूप के साथ हुई दिन की शुरूआत तो शाम को बदलते मौसम एहसास दिला रहा है. मौसम की शुरूआत के साथ-साथ खेत में सरसों की पौधे में खिले पुष्प लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे. आम के पेड़ में मंजर लगने की भी शुरुआत हो चुकी है. विविधता लिए यहां का मौसम अनूठा है. प्रकृति के अनुसार वर्ष में छह ऋतुएं प्रमुख हैं हेमंत, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद ऋतु. इन सभी में वसंत को सभी ऋतुओं का राजा अर्थात ‘ऋतुराज‘ कहा गया है. इस समय नई फसल के तैयार होने और विवाह आदि मंगलकार्य की अधिकता के कारण सभी ओर खुशी फैली होती है. तथा कड़ाके की ठंड से छुटकारा दिलाते हुए मौसम भी सुहाना हो जाता है. आम के बागीचों की मोहनी सुगंध,कोयल की मधुर कूक,मंद-मंद बहती शीतल सुरभित बयार, खिलते नवपल्लव,विविध मोहक फूल और फागुन की मस्ती का आनंद मानव मन को उमंग से भर देता है. महर्षि वाल्मिकी ने रामायण में वसंत का अति सुंदर व मनोहारी चित्रण किया है. भगवान कृष्ण ने गीता में ऋतुनां कुसुमाकर अर्थात ऋतुओं में मैं वसंत हूं कहकर विभूषित किया है. पौराणिक मान्यताओं में इसे कामदेव के पुत्र वसंत के जन्म का प्रतीक मानते हुए इसे प्रेम की ऋतु माना है. यौवन हमारे जीवन का वसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है. भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन और चैत्र माह वसंत के माने गए हैं. अंग्रेजी कैलेंडर में यह ऋतु फरवरी,मार्च और अप्रैल के मध्य में रहती है. फाल्गुन माह वर्ष का अंतिम माह है. और चैत्र प्रथम माह है.इस प्रकार हिंदी पंचांग वर्ष का अंत और आरंभ वसंत में ही होता है.इस ऋतु काल में महाशिवरात्रि, होली और रामनवमी पर्व मनाए जाते हैं. भारतीय संगीत, साहित्य और कला में वसंत का विशेष महत्व है.संगीत में एक विशेष राग, राग वसंत के नाम से गाया जाता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वसंत को कहा गया है.तन में नयी स्फूर्ति और मन में नयी चेतना का विकास होता है.

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