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सड़क बना खलिहान, मक्का सुखाने के चक्कर में हो रही हैं दुर्घटनाएं

जिले के ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें इन दिनों किसानों के कब्जे में है. सुबह से ही सुखाने के लिए मक्का सड़क पर फैला दी जाती है. मक्का से आधी से ज्यादा सड़क घेरने के बाद किनारे-किनारे ईंटें और पत्थर रख दिए जाते हैं,

किशनगंज.जिले के ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें इन दिनों किसानों के कब्जे में है. सुबह से ही सुखाने के लिए मक्का सड़क पर फैला दी जाती है. मक्का से आधी से ज्यादा सड़क घेरने के बाद किनारे-किनारे ईंटें और पत्थर रख दिए जाते हैं, ताकि वाहन मक्का पर न चढ़ सकें. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत बाइक सवारों को हो रही है. मक्का पर पहिया चढ़ते ही बाइक के फिसलने का खतरा रहता है.

इन दिनों मक्का की कटाई और दोउनी का काम चल रहा है. चूंकि मक्का में काफी नमी होती है, इसलिए किसान उसे बेचने से पहले अच्छी तरह सुखा लेते हैं. पहले अपने-अपने दरवाजे में ही किसानों को मक्का सुखाने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती थी, लेकिन अब वहां पर्याप्त जगह नहीं है. ऐसे में किसानों ने सड़क पर ही मक्का सुखानी शुरू कर दी है.

मक्का डालने के बाद में सड़क पर छोड़ देते हैं ईंट-पत्थर

किसान आधी सड़क पर मक्का सूखने के लिए डाल देते हैं. साथ ही उसके पास ईंट-पत्थर डाल देते हैं. ऐसे में आधे से ज्यादा रोड पर किसानों का कब्जा हो जाता है. सड़क पर इतनी जगह नहीं बचती है कि दो वाहन निकल सकें. सड़क से उतारने पर वाहनों के पलटने का खतरा बना रहता है. कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.

संभलकर चलिए, सड़क पर सूख रही है मक्का

खेतों में कटनी के साथ ही राहगीरों पर शामत आ गई है मकई के बोझे से लेकर मकई की दौनी और मकई सुखाने तक के लिए ग्रामीणों सड़कों को ही खलिहान बना दिया है.जिले के सभी प्रखंडों में कमोबेश हालात एक जैसे ही है. हर ग्रामीण सड़कों पर बिछाये गए मकई के दानों से फिसल कर अब तक दर्जनों बाइक सवार घायल भी हो चुके हैं और लोगों का गिरना भी जारी है लेकिन न तो किसानों को राहगीरों को हो रही समस्या से कोई मतलब है और कोई इस और ध्यान दे रहा है. किसी भी इलाकें में चले जाइए हर तरफ पर सड़कों पर बिछाए गए मकई के दानें ही मिलेंगे इन सड़कों के आसपास के लोगों ने अनाज सुखाने के नया तरकीब खोज लिया है. लिहाजा बाइक सवार इन अनाजों से फिसलकर आये दिन घायल हो रहे हैं.ऐसे में अब राहगीरों में आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है.डंठल से फिसल कर दुर्घटना के शिकार हो चुके लोग अब इसके खिलाफ आवाज भी उठाने लगे हैं.आए दिन लोग दुर्घटना के शिकार होकर अपना हाथ-पैर तुड़वाने को विवश हो गए हैं.जबकि चार पहिया वाहन वालों के लिए तो और मुश्किल है.उसे तो मकई के उपर से ही गाड़ी ले जाने की विवशता है.अभी मकई के सीजन की शुरुआत भर हुई है.आगे लंबे समय तक यही स्थिति रहने वाली है.

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