फर्जी डिग्री के आरोपित शिक्षकों की पहले समाप्ति व 10 माह बाद पुन: वेतन जारी करने को ले ठाकुरगंज शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में

10 माह बाद पुन: वेतन जारी करने को ले ठाकुरगंज शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में

By Prabhat Khabar News Desk | July 7, 2024 8:34 PM

ठाकुरगंज . पहले सेवा समाप्ति और दस माह बाद सेवा समाप्ति के आदेश को वापस लिए बिना ही ठाकुरगंज प्रखंड शिक्षा कार्यालय द्वारा फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाए दो शिक्षकों का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में नियोजन इकाई के द्वारा दस माह तक जिला शिक्षा कार्यालय के आदेश का अनुपालन नहीं करना भी सवालों के घेरे में है. बताते चले राजस्थान के ओपीजेएस विश्वविद्यालय से ली गई फर्जी डिग्री के सत्यापन के बाद ठाकुरगंज प्रखंड के दो शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना के द्वारा पत्रांक संख्या 455 / 456 दिनांक 28 अप्रैल 2024 के तहत निर्गत आदेश के बाद ठाकुरगंज प्रखंड के उम विद्यालय कुड़ीडांगी के शिक्षक विजय कुमार विनय और प्राथमिक विद्यालय गिधीनगोला पासवान टोला के शिक्षक प्रवीण कुमार को सेवामुक्त करने का आदेश दिया था. आदेश के बाद इन दोनों शिक्षकों की नियोजन इकाई ने इन्हें सेवामुक्त करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जिसके बाद जिला से निकले एक पत्र के आधार पर प्रखंड शिक्षा कार्यालय ने न इन शिक्षको का न सिर्फ बकाया वेतन का भुगतान कर दिया बल्कि नियमित रूप से वेतन भी चालू कर दिया. जबकि जिस पत्र के आधार पर इन शिक्षकों का वेतन पुन चालू किया गया वह पत्र प्रथम दृष्टया ही अधूरा लगता है. उस पत्र में न्यायालय का उल्लेख तो किया गया है लेकिन वाद संख्या का कही उल्लेख नहीं है , वहीं शायद यह पहला मामला हो की जिसमें जिला कार्यालय केवल वाद दाखिल करने पर अपने कदम से पीछे हो जाए. बताते चले इस तिथि में इस तरह का चार पत्र जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना द्वारा निर्गत किया गया था जिसमे अन्य दो प्रखंडों के द्वारा तुरंत कार्रवाई की गई लेकिन ठाकुरगंज प्रखंड में संबंधित नियोजन इकाई पहले तो 10 माह तक पत्र पर मौन रही और इसके बाद वेतन जारी करने संबंधित जिला द्वारा जारी अधूरे पत्र के मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने मार्ग दर्शन मांगना भी जरुरी नहीं समझा. संबंधित न्यायालय से जुड़े पत्र की जांच कर तथ्य विभाग को सामने रखना चाहिए ताकि किसी तरह का संशय उत्पन्न न हो.

क्या है मामला

बताते चले शिक्षक नियोजन 2019-20 के दौरान कई अभ्यर्थियों द्वारा ओपीजेएस विश्वविद्यालय, चुरु (राजस्थान) से निर्गत बीएड प्रमाण – पत्र एवं अंकपत्र प्रस्तुत किया गया है | जबकि एनसीटीई के वेबसाइट पर पाया गया कि ओपीजेएस विश्वविद्यालय, चुरु (राजस्थान) को दो वर्षीय बीएड या डी एलएड की अनुमति सत्र 16 – 17 से प्रदान की गई. जबकि इन दोनों शिक्षकों ने सत्र 2015 – 17 के प्रमाण् पत्र के आधार पर नौकरी दी गई. जिसे अमान्य मानते हुए इन दोनों शिक्षक विजय कुमार विनय का पत्रांक संख्या 455 दिनांक 28 / 04 / 23 और प्रवीण कुमार को पत्रांक संख्या 456 दिनांक 28 / 04 / 23 सहित कोचाधामन के योगेन्द्र मंडल को पत्रांक 453 दिनांक 28 / 04 / 23 और दिघलबैंक के संगम कुमार को पत्रांक 454 दिनांक 28 / 04 / 23 के तहत की सेवा मुक्ति का आदेश दिया गया था.

दोनों प्रखंडो में हुई कार्रवाई

अप्रैल 23 में आदेश निर्गत होने के तुरंत बाद दिघलबैंक और कोचाधामन प्रखंड में ससम्बन्धित नियोजन इकाई द्वारा कार्रवाई कर दी गई. इस दौरान मध्य विद्यालय सोंथा कोचाधामन के योगेन्द्र मंडल को सेवा मुक्त कर दिया गया वही दिघलबैंक प्रखंड के उ म वि दिघलबैंक में सेवारत संगम कुमार ने आदेश पर कार्रवाई होने के पूर्व ही स्वत: नौकरी छोड़ दी लेकिन ठाकुरगंज प्रखंड में दोनों शिक्षकों पर पहले आदेश के 10 माह बाद भी कार्रवाई नहीं होना इस दौरान कोर्ट में याचिका दायर करने के नाम पर ही बिना सेवा समाप्ति के आदेश के ही वेतन जारी करने से ठाकुरगंज प्रखंड शिक्षा कार्यालय संदेह के घेरे में है.

क्या कहते है अधिकारी

इस मामले में जब ठाकुरगंज प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया इसके बाद वेतन के मामले में जिम्मेदार ठाकुरगंज प्रखंड शिक्षा कार्यालय के अकाउंटेंट सुमित कुमार ने सारा दोष जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना पर देते हुए 10 माह तक पत्र पर कार्रवाई नहीं होने के मामले में संबंधित नियोजन इकाई को दोषी बताया.

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