30 वर्ष से ज्यादा की महिला व पुरुषों की घर बैठे होगी स्क्रीनिंग, आशा कार्यकर्ताओं संभालेंगी कमान

महिला व पुरुषों की घर बैठे होगी स्क्रीनिंग

By Prabhat Khabar News Desk | October 1, 2024 10:05 PM

एनपीसीडीसीएस को लेकर आशा को दिया जा रहा पांच दिवसीय प्रशिक्षण

आशा दीदी ग्रामीणों के हाइपरटेंशन, डायबिटीज व कैंसर मरीजों की करेंगी स्क्रीनिंग

प्रतिनिधि, किशनगंज

जिले में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की पहचान और रोकथाम के लिए 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों की व्यापक स्क्रीनिंग की योजना बनाई गई है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जिले की 30 आशा कार्यकर्ताओं को एक विशेष पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है. कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार और गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. उद्घाटन के अवसर पर सिविल सर्जन ने प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल आशा कार्यकर्ताओं के कौशल में वृद्धि करेगा, बल्कि गैर-संचारी रोगों की पहचान और समय पर इलाज सुनिश्चित करने के लिए भी अहम साबित होगा. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के माध्यम से हम हर घर तक पहुंचने का लक्ष्य आसानी से हासिल कर सकते हैं. कार्यक्रम की सफलता के लिए एक मजबूत माइक्रो प्लान की आवश्यकता है, जिससे स्क्रीनिंग और इलाज के कार्यों को सुचारू रूप से पूरा किया जा सके.

रोगों की पहचान और रोकथाम में प्रशिक्षण की अहम भूमिका

गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया कि यह प्रशिक्षण आशा कार्यकर्ताओं को जमीन पर काम करने के लिए आवश्यक कौशल और जानकारी प्रदान करेगा. उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और लकवा जैसे गंभीर रोगों के लक्षणों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि समय रहते मरीजों का इलाज शुरू किया जा सके. आशा कार्यकर्ता अपने पोषक क्षेत्रों में 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी व्यक्तियों का सी-बैक फॉर्म भरेंगी और फैमिली फोल्डर तैयार करेंगी. इसके अलावा, वे एनसीडी एप्लीकेशन पर डेटा अपलोड करने के लिए भी प्रशिक्षित की जा रही हैं.

प्रशिक्षण का उद्देश्य और अगली कार्य योजना

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया की यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के तहत गैर-संचारी रोगों की पहचान और रोकथाम को लेकर आयोजित किया जा रहा है. इसके तहत, कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी बीमारियों की पहचान और इलाज की योजना बनाई गई है. आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में मिलने वाले मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में मदद करेंगी, ताकि समय पर उनका इलाज शुरू हो सके.

गतिविधि का नियमित पोर्टल पर एंट्री करना आवश्यक है

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने कार्यक्रम की सफलता पर जोर देते हुए कहा कि एक मजबूत माइक्रो प्लान के साथ हम पॉपुलेशन बेस्ड मास स्क्रीनिंग फॉर एनसीडी को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं. इसके लिए हर गतिविधि का नियमित पोर्टल पर एंट्री करना आवश्यक है, ताकि सभी जानकारियां अद्यतन रहें और मरीजों को सही समय पर इलाज मिले. इस प्रशिक्षण के माध्यम से आशा कार्यकर्ता गांवों में गैर-संचारी रोगों की पहचान, रोकथाम और इलाज में अहम भूमिका निभाएंगी. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण होगा और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को समय पर चिकित्सा सहायता मिल सकेगी.

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