किशनगंज की श्रृष्टि नेपाल की माउंट मकालू के बेस कैंप पहुंचकर जिले का नाम किया रोशन

किशनगंज की 27 साल की जांबाज सृष्टि नखत ने विश्व की पांचवी सबसे ऊंची चोटी माउन्ट मकालू के बेस कैंप तक पहुंच कर जिले का नाम रोशन कर दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 14, 2024 6:38 PM
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किशनगंज. किशनगंज की 27 साल की जांबाज सृष्टि नखत ने विश्व की पांचवी सबसे ऊंची चोटी माउन्ट मकालू के बेस कैंप तक पहुंच कर जिले का नाम रोशन कर दिया है. श्रृष्टि किशनगंज की पहली ऐसी बेटी है जिसने माउंंट मकालू के बेस कैंप 5000 मीटर तक का सफ़र पूरा किया. श्रृष्टि की इस उपलब्धि पर हर कोई फख्र कर रहा है.

अपने ग्रुप के साथ 13 दिनों की इस यात्रा के बाद वापस आई श्रृष्टि के हौसले की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचना आसान नहीं था. कोलकता में रहने वाली श्रृष्टि ने अपने रिश्तेदारों के मकालू के प्रोग्राम के बारे में सुना तो उसकी भी इच्छा हुई और अपने मामा विपुल ललवानी और मासी बिनीता भुतेरिया से मिले. पहली बार किसी पहाड़ी चोटी पर चढने का कार्यक्रम बना लिया और पहले प्रयास में ही विश्व की पांचवी सबसे ऊंची चोटी के बेस कैंप तक सफलता पूर्वक पहुंच गई.

अपने तेरह दिनों के इस ट्रिप के पहले दिन काफी मुश्किल हुई लेकिन दूसरे दिन से इस ट्रिप में मजा आने लगा, एक दिन लेंसलाईड वाले इलाके से गुजरने के दौरान वह ऊंची पहाडियों से फिसलते फिसलते भी वह बची.लेकिन अपने साथ चल रहे साथियों के हौसला ने इस पहाड़ पर उसे फतह हासिल करने में सफलता हासिल करवा दी. इस यात्रा में लगभग 50 हजार सीढियों को चढ़ना, नदियों, सपाट पगडंडियों के साथ बरसाती दिनों में एक ही क्षेत्र में कई झरनों और भूस्खलनों को पार करना जैसे मीठे अनुभव के साथ हरे-भरे जंगल से गुजरते हुए बर्फ से ढके मकालू बेस कैंप का सफ़र एक अनोखा अनुभव रहा.

माउंट मकालू दुनिया का पांचवां सबसे ऊंचा पर्वत है

माउंट मकालू दुनिया का पांचवां सबसे ऊंचा पर्वत है जो नेपाल के महालंगुर हिमालय श्रृंखला में स्थित है. चार तरफा पिरामिड संरचित पर्वत मकालू नेपाल में एक खूबसूरत पर्वत है. मकालू नेपाल के एक अलग पहाड़ के रूप में प्रसिद्ध है, जो एवरेस्ट बेस कैंप क्षेत्र से दूर मकालू बरुन राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है. माउंट मकालू को एवरेस्ट क्षेत्र के ट्रैकिंग रूट से देखा जा सकता है. इस मार्ग में कई नदी, घाटी झरनों, हिमनद झीलों को देखना ताज़गी भरा अनुभव है तथा मकालू बेस कैंप ट्रेक करने वाले ट्रेकर्स के मन में एक अलग स्मृति का निर्माण करता है.

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