23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कुपोषणमुक्त समाज निर्माण के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों का भी सहयोग जरूरी

कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक-एक व्यक्ति को पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आने की जरूरत है

समाज के हर तबके के व्यक्ति तक पोषण का उद्देश्य और महत्व की जानकारी होना जरूरी – सामुदायिक स्तर पर जागरूकता से कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण संभव प्रतिनिधि, किशनगंज कुपोषण किसी एक व्यक्ति या परिवार की समस्या नहीं, बल्कि यह पूरे समाज की समस्या है. इसे मिटाने के लिए सामुदायिक स्तर एक-एक व्यक्ति की भागीदारी जरूरी और यह सबकी जिम्मेदारी है. इसलिए, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक-एक व्यक्ति को पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आने की जरूरत है. क्योंकि, यह तभी संभव है, जब समाज के हर तबके के व्यक्ति तक उचित पोषण का महत्व और उद्देश्य की जानकारी पहुंच पाएगी. उक्त बातें आईसीडीएस की मो अजमल खुर्शीद ने कही. वहीं, उन्होंने कहा, सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता से कुपोषण की समस्या को खत्म करना संभव है. इसके लिए शासन-प्रशासन द्वारा तमाम आवश्यक और जरूरी पहल तो की ही जा रही है. इसके अलावा सामुदायिक स्तर आमजनों के सहयोग की भी जरूरत है. क्योंकि, किसी भी कुरीति को मिटाने के लिए सामाजिक सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अच्छा पोषण स्वास्थ्य को बनाए रखने, बीमारियों को रोकने और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है . राष्ट्रीय पोषण माह जिला सहित पुरे भारत में 01 से 30 सिंबर राष्ट्रीय पोषण माह, पोषण अभियान के तहत एक पहल है जिसका उद्देश्य कमज़ोर आबादी के लिए पोषण संबंधी परिणामों को बढ़ाना है.

पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आने की जरूरत

पोठिया प्रखंड की सीडीपीओ प्रियंका श्रीवास्तव ने बताया कि कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए खासकर महिलाओं को जागरूक होने की विशेष जरूरत है. क्योंकि, आज भी ऐसा देखा जा रहा है कि महिलाओं के मन से पुराने ख्यालात और अवधारणा दूर नहीं हो पा रही है. जैसे – पुरुष खाने के बाद ही महिलाएं खाएंगी, यह एक पुरानी अवधारणा और ख्यालात है. जिसका पारिवारिक रिश्ता और जिम्मेदारी से कोई लेना-देना नहीं है.यह सिर्फ और सिर्फ उचित पोषण के लिए बाधक है. खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह और घातक है . क्योंकि, अगर गर्भवती माताएं समय पर खाना नहीं खाएंगी तो गर्भवती एवं गर्भस्थ शिशु दोनों को कुपोषण की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, मैं तमाम महिलाओं से अपील करती हूँ कि ऐसी सोच से बाहर आएं और समय पर खाना खाएं. यही आपके स्वस्थ शरीर और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सबसे बेहतर और कारगर कदम होगा तथा पारिवारिक जिम्मेदारी के प्रति सबसे बड़ी और सच्ची पहल भी होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें