सीमांचल के गांधी तस्लीमउद्दीन ने पूरा किया था सरपंच से केंद्रीय मंत्री तक का सफर
सरपंच से केंद्रीय मंत्री तक का सफर करने वाले तस्लीमउद्दीन को सीमांचल का गांधी कहा जाता था.
बच्छराज नखत, किशनगंज.तस्लीमुद्दीन एक ऐसा नाम जो बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे हो लेकिन किशनगंज के विकास को लेकर तस्लीम उद्दीन की सक्रियता उन्हें यहाँ के लोगों के दिलो में अलग जगह देती है . तस्लीम उद्दीन का नाम आता है तो जेहन में सबसे पहले यही बात गूंजती है की वह शख्स जिसने सीमांचल के तीन लोकसभा क्षेत्रों के सांसद बनकर दिल्ली में प्रतिनिधित्व किया. यह उनकी लोकप्रियता ही थी की वे तीन संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर पाए. पहली बार पूर्णिया से बने सांसद अररिया जिले के जोकीहाट प्रखंड के सिसौना गांव में जन्मे तस्लीमउद्दीन को पहली बार सांसद बनाने का श्रेय पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र की जनता को जाता है. तस्लीमुद्दीन 1989 में पहली बार पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए, उन्होंने यह चुनाव जनता दल के टिकट पर जीता. वहीं दूसरी बार सांसद 1996 में किशनगंज से 1998 में पुन किशनगंज से और 2004 में भी किशनगंज से सांसद चुने गए. वही 2014 के चुनाव में अररिया से चुनाव जीतकर 16 वीं लोकसभा के सदस्य रहे. सरपंच से गृह राज्य मंत्री तक का सफर तस्लीमुद्दीन ने 1959 में सरपंच का चुनाव जीता सरपंच के बाद तस्लीमुद्दीन 1964 में मुखिया बने. 1969 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार जोकीहाट से विधायक चुने गए. तस्लीमुद्दीन 1969 से 1996 के बीच सात बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये और 1989 में पहली बार वह 09वीं लोकसभा के सदस्य चुने गये. उन्होंने 1996 में 11वीं, 1998 में 12वीं, 2004 में 14वीं और 2014 में 16वीं लोकसभा के सदस्य रहे. 1989 में पहली बार जनता दल के टिकट पर तस्लीमुद्दीन पूर्णिया से सांसद चुने गये और 1991 में किशनगंज लोकसभा सीट से वह चुनाव हार गये थे. 1995 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जोकीहाट विधानसभा का चुनाव जीता था और किशनगंज लोकसभा सीट पर 1996 में हुए आम चुनावों में तस्लीमुद्दीन ने जीत दर्ज की थी. किशनगंज को विकास की राह पर चलना सिखाया था तस्लीम उद्दीन ने अपने सांसद रहने के दौरान तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री के सहयोग से सड़क के मामले में अत्यंत पिछड़े इस किशनगंज जिले में सडको का जाल बिझा दिया. चाहे बंगाल की सीमा मुरिगछ से ठाकुरगंज होते हुए सुदूर खारुदाह पंचायत तक सड़क निर्माण की बात हो या चेंगा नदी में पुल निर्माण की इन उपलब्धियों के लिए इलाके की जनता उन्हें हमेशा याद रखेगी.वही इलाके की रेल सेवा को लेकर उनके प्रयास भी सदियों तक याद किये जायेंगे. चाहे अलुआबाड़ी रोड से ठाकुरगंज होते हुए सिलीगुड़ी तक आमान परिवर्तन का काम हो या गलगलिया अररिया नई रेल लाइन का काम यह तस्लीम उद्दीन के प्रयास से ही संभव हो पाया. यूपीए वन के दौरान इलाके की बदहाली को सरकार के सामने रख कर तस्लीम उद्दीन के प्रयास से ही योजना आयोग की टीम किशनगंज आई और इसके बाद इलाके के विकास के लिए कई योजनाये केंद्र सरकार ने शुरू की. इन्ही योजनाओं में एक था गलगलिया से भद्रपुर के बीच मेची नदी पर पक्के पुल का निर्माण कार्य.