ठाकुरगंज. ठाकुरगंज प्रखंड में बीते एक वर्ष में नदियों और तालाबों में डूबने से कई लोगों की जाने चली गई लेकिन सिस्टम की लापरवाही ऐसी है कि डूबने वालों में कुछ को तो मुआवजा मिला लेकिन कुछ के परिजन मुआवजा राशि के लिए भटक रहे हैं. और तो और इस मामले में सबसे ज्यादा रहस्यमय बात तो यह है की जो पहले मरे उनके परिजनों को तो मुआवजा नहीं मिला लेकिन बाद में मरने वालों के परिजनों को मुआवजा दे दिया गया. इसके लिए काफी हद तक अधिकारियों का सुस्त रवैया भी जिम्मेवार है. बात हम ठाकुरगंज भातडाला तालाब में डूबकर मरे दालसिंह कर्मकार की कर रहे है जिसकी मौत 22 जुलाई को भातडाला पोखर में डूबने से हो गई थी लेकिन उनके परिजनों को तीन माह बीतने के बाद भी अबतक मुआवजा नहीं मिला है. वहीं एक तथ्य यह भी है की इस घटना के बाद डूबने की घटना में 3 बच्चों की मौत हो जाने पर दो दिन बाद ही उनके परिजनों को मुआवजा दे दिया गया.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट है अहम
प्राकृतिक आपदाओं में मौत पर मिलने वाली राशि के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरूरी है. अधिकांश मामलों में गांव में ही अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं होने की वजह से आश्रितों को मुआवजा नहीं मिल पाता है. प्राकृतिक आपदाओं में मृत्यु होने पर आश्रित मुआवजा राशि के लिए अपने अंचल कार्यालय में आवेदन के साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट अटैच होनी चाहिए. सीओ की सत्यापन रिपोर्ट अपर समाहर्ता व जिलाधिकारी के पास पहुंचती है. स्वीकृति मिलते ही राज्य सरकार के राज्य आपदा मोचन निधि से 04 लाख रुपए मुआवजा का भुगतान किए जाने का प्रावधान है.
क्या कहते है अधिकारी
इस मामले में अंचलाधिकारी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मृतक दलसिंह कर्मकार की फाइल जिला भेज दिया गया है वहां से स्वीकृति के बाद ही मुआवजा मिल पायेगा. हालांकि उन्होंने इस बात से कन्नी काट ली की दलसिंह कर्मकार के मृत्यु के बाद हुई घटनाओं पर मुआवजा तेज रफ़्तार से कैसे बट गया . उन्होंने कहा कि मुआवजे के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरुरी होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है