क्लबफुट के इलाज के लिए आरबीएसके की पहल: तीन बच्चों को भेजा गया जेएलएनएमसीएच भागलपुर
क्लब फुट एक जन्मजात विकार है, जिसमें बच्चे के पैर या पैर के टखने का आकार या स्थिति सामान्य से अलग होती है. इसे चिकित्सकीय भाषा में "कंजेनाइटल टेलिप्स इक्विनोवेरस " कहा जाता है.
जेक्लबफुट जैसी जन्मजात विकृति का समय पर इलाज अत्यंत आवश्यक है – सिविल सर्जन
किशनगंज.क्लब फुट एक जन्मजात विकार है, जिसमें बच्चे के पैर या पैर के टखने का आकार या स्थिति सामान्य से अलग होती है. इसे चिकित्सकीय भाषा में “कंजेनाइटल टेलिप्स इक्विनोवेरस ” कहा जाता है. इस स्थिति में पैर अंदर की ओर मुड़ जाता है, जिससे बच्चा सामान्य रूप से खड़ा नहीं हो पाता. यह विकार न केवल शारीरिक असुविधा का कारण बनता है, बल्कि यदि समय पर इसका उपचार न किया जाए, तो यह बच्चे के चलने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. यह विकार लगभग 1,000 नवजात शिशुओं में से 1 में पाया जाता है और लड़कों में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं.क्लब फुट का कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसे अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों का परिणाम माना जाता है. गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास में बाधा, मांसपेशियों और नसों की असामान्यता, या पारिवारिक इतिहास इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं.इसी क्रम में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत क्लबफुट से पीड़ित तीन बच्चों को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल किशनगंज से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटलभागलपुर भेजा गया. इन बच्चों का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में किया जाएगा, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद है. इलाज के लिए आहिल रजा उम्र तीन वर्ष, मो शाहिन उम्र दो वर्ष और हामिद उम्र 5 वर्ष भेजे गए.सभी बच्चे दिघलबैंक प्रखंड के निवासी हैं और क्लबफुट जैसी जन्मजात विकृति से पीड़ित हैं. इस विकृति के कारण पैर अंदर की ओर मुड़े रहते हैं, जो समय पर इलाज न होने पर चलने में कठिनाई का कारण बन सकते हैं. इन बच्चों का निःशुल्क इलाज सुनिश्चित करने के लिए आरबीएसके की टीम ने उन्हें जेएलएनएमसीएच भागलपुर भेजा है.
क्लब फुट एक ऐसा विकार है, जिसे शुरुआती चरण में पहचान कर प्रभावी ढंग से ठीक किया जा सकता है. उचित देखभाल और सही उपचार बच्चों को एक सामान्य और सक्रिय जीवन जीने में सक्षम बनाता है. जागरूकता, समय पर इलाज और सामुदायिक समर्थन इस समस्या को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.क्लबफुट जैसी जन्मजात विकृति का समय पर इलाज अत्यंत आवश्यक है – सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने कहा, “क्लबफुट जैसी जन्मजात विकृति का समय पर इलाज अत्यंत आवश्यक है. हमारा उद्देश्य हर जरूरतमंद बच्चे तक सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाना है. आरबीएसके के माध्यम से इन तीन बच्चों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर भेजा गया है, जहां उनका निःशुल्क और विशेषज्ञ देखरेख में इलाज किया जाएगा. मैं सभी अभिभावकों से अपील करता हूं कि वे अपने बच्चों को समय पर स्वास्थ्य जांच के लिए स्वास्थ्य केंद्र लाएं ताकि उन्हें समय पर उपचार मिल सके. स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास समाज के कमजोर वर्गों के लिए एक बड़ी राहत है. क्लबफुट जैसी विकृति से पीड़ित बच्चों को समय पर इलाज और देखभाल प्रदान करके उन्हें सामान्य जीवन जीने का अवसर दिया जा रहा है. यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ावा देती है, बल्किआरबीएसके की भूमिका
आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया किहमारी टीम नियमित रूप से क्षेत्र का भ्रमण कर क्लबफुट और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों को चिह्नित करती है. इन बच्चों को इलाज के लिए सरकारी संस्थानों में ले जाने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाता है. हमारी टीम का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है