आज है दामाद का दिन जमाई षष्ठी, ससुराल पहुंचने लगे जमाई

बंगाली समाज में बुधवार को दामाद का दिन जमाई षष्ठी है. जमाई की मंगलकामना व सत्कार का पर्व है जमाई षष्ठी. इसकी तैयारी शहर के बंगाली समाज के लोगों ने पूरी कर ली है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 11, 2024 6:56 PM

जमाई की लंबी उम्र के लिए किया जाता है षष्ठी का व्रत, अपने आप में अनोखा है ये पर्व

किशनगंज / ठाकुरगंज. बंगाली समाज में बुधवार को दामाद का दिन जमाई षष्ठी है. जमाई की मंगलकामना व सत्कार का पर्व है जमाई षष्ठी. इसकी तैयारी शहर के बंगाली समाज के लोगों ने पूरी कर ली है. जमाई षष्ठी को लेकर मंगलवार को बाजार में भीड़ रही. बांग्ला संस्कृति में जमाई षष्ठी पर्व की एक अलग पहचान है. बंगाल सहित देश के उन सभी हिस्सों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जहां बांग्लाभाषी रहते हैं. ठाकुरगंज सहित आसपास के इलाके में भी जमाई षष्ठी पर्व को लेकर बंगाली समुदाय में विशेष उत्साह देखा जा रहा है. इस दिन को लेकर बंगाली घरों में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है. घरों की साफ-सफाई के साथ-साथ तरह-तरह के पकवान बनाने की तैयारी चल रही है. पर्व को लेकर शहर के बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ गई है. फलों और मछलियों की मांग बढ़ गई है, कीमतों में भी काफी चढ़ाव दिख रहा है. जमाई षष्ठी बुधवार को मनाई जाएगी.

भगवान का रूप होता है जमाई

ज्ञात हो कि जमाई षष्ठी में भगवान षष्ठी की पूजा होती है . इसमें दामाद को भगवान का रूप दिया जाता है. ससुराल वाले दामाद के हाथ में रक्षासूत्र बाध उनकी लंबी आयु की कामना करते हैं. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को बंगाली समुदाय में जमाई षष्ठी मनाई जाती है. इस पर्व के मद्देनजर बंगाली समुदाय की महिलाएं सुबह पीपल वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना कर जमाई के दीर्घायु होने की कामना करती हैं. यह समय गर्मी का है. ऐसे में जमाई को कोई परेशानी न हो, इसके लिए हाथ का पंखा हिलाकर मौसमी फल और तरह-तरह के पकवान खाने को दिये जाते हैं.

मिष्टी दही और माछ से होता है जमाई का स्वागत

बंगाल की प्रसिद्ध मिष्टी दही और माछ भी इस दिन का प्रमुख भोजन होता है. किसी भी उम्र का दामाद क्यों न हो, ससुराल पक्ष नए वस्त्र और विभिन्न प्रकार की फल, मिठाइया और माछ लेकर उनका स्वागत करता है . इसके बाद परिवार के सभी सदस्य साथ में भोजन करते हैं. इस दिन का दामादों को सालभर इंतजार रहता है . इस पर्व को लेकर दूरदराज के इलाके में रहने वाली बेटियों और जमाईयों का अपने ससुराल आना शुरू हो गया है. इस बाबत प्रदीप दत्ता, अमर चोधरी, अरूप कुंडू, जयंतो लाहिड़ी, विकास पाल, उतम दास, सुकुमार देवनाथ बताते हैं कि जमाई षष्ठी पर खातिरदारी की अलग खुशी होती है. मां और सास का आशीर्वाद सुखद अहसास देता है. उन्होंने बताया कि सास दामाद के स्वागत में उपवास रहेंगी. पांच तरह की मिठाई, फल और मछली के पकवान परोसेंगी.. दामाद के स्वागत में अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. क्षमता के मुताबिक उपहारों का आदान-प्रदान भी होता है. जमाई षष्ठी को लेकर बाजार में मछली और फलों के दाम बढ़ गए हैं. जमाई षष्ठी के दिन मछली की भारी माग को देखते हुए हर साल कीमत बढ़ जाती है.

बनते हैं ये पकवान

जमाई षष्ठी के दिन बंगाली समाज के लोग सामर्थ्य के मुताबिक पकवान बनाते हैं. इनमें हिलसा, रूई, कतला, झींगा मछली, मुर्गा, मटन, बिरयानी के साथ पांच प्रकार की भुजिया, खीर, दही, मूंग की दाल के साथ ही पांच प्रकार की मिठाई शामिल है.

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