पीपीआईयूसीडी एवं आईयूसीडी के लाभों पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम की मजबूती को लेकर हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. जिसको लेकर समय-समय पर स्वास्थ्यकर्मी का प्रशिक्षण करवाया जा रहा है.
आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी से जुड़े मिथकों पर जागरूकता फैलाने को दिया जा रहा है प्रशिक्षण किशनगंज.जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम की मजबूती को लेकर हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. जिसको लेकर समय-समय पर स्वास्थ्यकर्मी का प्रशिक्षण करवाया जा रहा है. स्वास्थ्य केंद्रों पर महिलाओं को परिवार नियोजन से संबंधित सेवाओं की जानकारी देकर इसके इस्तेमाल करने को लेकर जागरूक करेंगी. क्योंकि पीपीआईयूसीडी के माध्यम से बच्चों में सुरक्षित अंतर रखने में मदद मिलती है. सबसे अहम बात यह है कि अनचाहे गर्भ से बचने या दो बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर रखने का यह सुरक्षित व उपयोगी माध्यम है. प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से मामूली जांच के बाद इसे आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है. फिर दंपति जब भी बच्चा चाहें इसे अस्पताल जाकर सुलभ तरीक़े से निकालवा सकती हैं. इसी क्रम में जिले के सदर अस्पताल में क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई द्वारा पीपीआईयूसीडी के उपयोग और लाभों पर आधारित एक विशेष पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. जिसमे जिले के छह प्रखंड से तीन तीन ए एनएम् को आवसीय प्रशिक्षण सिस्टर ट्यूटर नेहा कौशर, ग्रेड ए नर्स उषा कुमारी के द्वारा दिया जा रहा है. आरपीएम कौशर इकबाल ने बतया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों, नर्सों, और आशा कार्यकर्ताओं को गर्भनिरोधक उपायों के प्रति प्रशिक्षित करना है, ताकि वे समुदाय में महिलाओं को इन प्रभावी और सुरक्षित गर्भनिरोधक विधियों के बारे में जागरूक कर सकें. आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी से जुड़े मिथकों पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रह है – सीएस सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए यह प्रशिक्षण काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को इन आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों के बारे में विस्तृत जानकारी देगा और उन्हें इनका सुरक्षित तरीके से उपयोग करने के लिए सक्षम बनाएगा. कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों को आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी के उपयोग की तकनीक, संभावित दुष्प्रभावों और इनसे जुड़े मिथकों पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा. साथ ही, महिलाओं को प्रसव के तुरंत बाद पीपीआईयूसीडी लगाने के लाभों के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिससे वे गर्भनिरोध के बारे में अधिक जागरूक हो सकें. स्वास्थ्य और परिवार नियोजन में महत्त्व डीडीए सह प्रभारी डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ गर्भनिरोधक उपायों को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और परिवार नियोजन के प्रति जागरूक बनाना भी है. पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के माध्यम से महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण से बचने का एक स्थायी और सुरक्षित विकल्प मिलता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ, इस कार्यक्रम से मातृ और शिशु मृत्यु दर में भी कमी लाने की संभावना है. सही जानकारी और प्रशिक्षण के साथ, स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकर्ता इन गर्भनिरोधक उपायों को सफलतापूर्वक लागू कर सकते हैं, जिससे समाज में परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता बढ़ेगी.
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