किशनगंज. प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए शिक्षक तबादला नीति पर सवाल उठने लगा है.शिक्षक नेताओं ने इस नियम को रद्द कर फिर से नया नियम बनाने की मांग की है.ट्रांसफर पोस्टिंग नीति को छलावा बताते हुए परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी ने जानकारी देते हुए प्रभात खबर को बताया कि बिहार सरकार शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापना नियमावली नहीं बनाकर शिक्षकों को तंग करने का नियम बनाया है. यह किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है,शिक्षकों के साथ पिछले कुछ समय से जिस तरह का व्यवहार सरकार और उनके अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है. वह किसी भी सूरत में बर्दाश्त के काबिल नहीं है.सरकार को इसका करारा जवाब दिया जाएगा. श्री ब्रजवासी ने कहा की 5 साल पर शिक्षकों के स्थानांतरण की जो पॉलिसी सरकार लाई है.क्या सांसद और विधायक पर ये नियम लागू होगा? क्या ये लोग भी पांच साल के बाद अपना क्षेत्र बदलेंगे? जब माननीय नहीं बदल सकते हैं तो शिक्षकों पर इस तरह का नियम बांध देना सर्वथा अनुचित और हास्यास्पद है.उन्होंने कहा है कि पूरे नियमावली को सरकार वापस ले और शिक्षकों का स्वैच्छिक स्थानांतरण करें. बांका,जमुई,जहानाबाद, किशनगंज,लखीसराय, शेखपुरा और शिवहर में एक ही अनुमंडल है.यह नियम लागू होने की स्थिति में वहां के पुरुष शिक्षक कहां जाएंगे.जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी रिजल्ट कार्ड में उन्हें अपना गृह जिला अलॉट हुआ है. नियोजित शिक्षक के तौर पर किया गया सर्विस लेंथ का बीपीएससी और विशिष्ट शिक्षक बनने के बाद क्या होगा.सेवा निरंतरता का लाभ मिलेगा या नहीं मिलेगा,इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है.उन्होंने कहा कि शिक्षकों को स्वेच्छा से 10 से 15 किलोमीटर के दूरी भीतर ही पोस्टिंग हो, 5 साल की अनिवार्य ट्रांसफर नीति भी सही नहीं है. इस शर्त को भी हटाना चाहिए.पति-पत्नी, दिव्यांग और असाध्य रोग वालों की सुविधा को देखते हुए उन शिक्षकों को गृह पंचायत में पोस्टिंग किया जाए.अन्यथा शिक्षक एक बार फिर सड़क पर उतरने को विवश होंगे.
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