मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जिले के दो बच्चों को मिलेगा नया जीवन

मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जिले के जरूरतमंद और गंभीर हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 30, 2025 8:07 PM

दीम को डिवाइस क्लोजर और जाकिया सुल्ताना को इको टेस्ट के लिए आईजीआईसी पटना भेजा गयाकिशनगंज. मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जिले के जरूरतमंद और गंभीर हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में आज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित मरीज नदीम को डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया के लिए और जाकिया सुल्ताना को इको टेस्ट के लिए सदर अस्पताल किशनगंज से इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान , पटना के लिए रवाना किया गया.

बीमार बच्चों में नदीम, जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित, जिनका डिवाइस क्लोजर की प्रक्रिया आईजीआईसी, पटना में की जाएगी. दूसरा जाकिया सुल्ताना ,हृदय रोग की जांच के लिए इको टेस्ट के लिए आईजीआईसी पटना भेजा गया.

निःशुल्क इलाज और सरकारी मदद

मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क इलाज प्रदान किया जाता है. इसमें न केवल ऑपरेशन और जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, बल्कि मरीज और उनके एक अभिभावक के लिए रहने, खाने और आने-जाने की भी पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है. जिला पदाधिकारी विशाल राज ने जिलेवासियों से अपील की कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें. यदि किसी भी बच्चे में जन्मजात हृदय रोग या अन्य गंभीर समस्या के लक्षण दिखते हैं, तो वे तुरंत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर जांच करवाएं. उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर हम अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं.

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की अहम भूमिका

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जिले में मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत गंभीर रूप से बीमार बच्चों का इलाज करवाया जा रहा है. अब तक 60 से अधिक बच्चों की सफल सर्जरी हो चुकी है. आज दो और बच्चों को बेहतर इलाज के लिए पटना भेजा गया है. हमारा प्रयास है कि जिले में किसी भी बच्चे को आर्थिक तंगी की वजह से इलाज से वंचित न रहना पड़े. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत 0-18 वर्ष तक के बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए लगातार स्क्रीनिंग की जाती है. टीम में शामिल चिकित्सक, एएनएम और फार्मासिस्ट गांव-गांव जाकर बच्चों की जांच करते हैं और जरूरतमंदों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए रेफर करते हैं.आरबीएसके के जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि उनकी टीम लगातार जिलेभर में स्वास्थ्य जांच अभियान चला रही है.हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक बच्चों को इस योजना का लाभ मिले और वे स्वस्थ जीवन जी सकें. यदि किसी भी परिवार में कोई बच्चा हृदय रोग से पीड़ित है, तो वे तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें.

जागरूकता जरूरी, ताकि अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे लाभ

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को मुफ्त में बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं. यह समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वे अपने आसपास के जरूरतमंदों को इस योजना की जानकारी दें, ताकि कोई भी बच्चा सिर्फ पैसों की कमी के कारण इलाज से वंचित न रहे.सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाकर न केवल बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती है, बल्कि उनके परिवारों की परेशानियों को भी कम किया जा सकता है. सभी अभिभावकों से अपील है कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें और किसी भी गंभीर बीमारी की स्थिति में तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें.

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