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दो माह से बंद पड़े चाय बागानों में जल्द लौटेगी रौनक

दो माह से बंद पड़े चाय बागानों में जल्द ही रौनक लोटेगी. टी बोर्ड ने डुआर्स-तराई में अवस्थित चाय बागानों में 17 फरवरी से चाय के नये सीजन की शुरुआत की तारीख की घोषणा कर दी है.

ठाकुरगंज. दो माह से बंद पड़े चाय बागानों में जल्द ही रौनक लोटेगी. टी बोर्ड ने डुआर्स-तराई में अवस्थित चाय बागानों में 17 फरवरी से चाय के नये सीजन की शुरुआत की तारीख की घोषणा कर दी है. बताते चले पिछले कई वर्षो से चाय बोर्ड अच्छी गुणवत्ता वाली पत्तियों की कमी के कारण शुष्क सर्दियों के मौसम के दौरान उत्पादन बंद करने का आदेश देता रहा है. इस सर्दी में 30 नवंबर से चाय बागानों में उत्पादन रोक दिया गया था.

हालांकि पिछले वर्ष यह रोक 23 दिसंबर को लगाया गया था. हालांकि पिछले चार माह से बरसात नहीं होने से परेशान चाय बागन मालिको के लिए यह आदेश मायने नहीं रखता, इस बाबत ठाकुरगंज प्रखंड के कई चाय बागन मालिकों ने बताया कि मध्य अक्टूबर से बारिश नहीं हुई है. सिंचाई द्वारा छिड़काव किये गये पानी ने मिट्टी के ऊपरी हिस्से को भी गीला नहीं किया. इस बीच ठंड भी अत्यंत ज्यादा थी. मौसम देखकर यही कहा जा सकता है जो पेड़ सर्दियों के शुष्क मौसम में सो रहे थे, वह अभी तक नहीं जागे हैं. हालांकि चाय बगान मालिक टी बोर्ड की घोषणा के बाद से अब नई योजना बनाने में लग गए है.

देर से आई ठंड से परेशान है चाय उत्पादक किसान

चाय उत्पादक किसान जयंतो लाहिड़ी ने बताया कि देर से शुरू हुई यह सर्दी ज्यादा दिनों तक चली. उन्होंने बताया कि रात का तापमान बढ़ना शुरू हो गया है . साढ़े चार महीने से बारिश नहीं हुई है. जिससे चाय के पौधे पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसलिए नई पत्तियों का आना रुक गया है. माना जा रहा है कि बरसात होने के बाद ही फरवरी के अंत से स्थिति अनुकूल हो सकती है. वही दुसरे किसान अरुण सिंह ने बताया कि दिसंबर में इतनी ठंड नहीं थी. जनवरी से ठंड पड़ना शुरू हुआ. परिणामस्वरूप, चाय के पौधे की शीतकालीन पैदावार नहीं हुई. ठंड के कारण वृक्षों के अंकुर फूटने में भी देरी हुई.

बरसात की राह देख रहे है किसान

वहीं इस बाबत चाय उत्पादक किसान सह मुख्य पार्षद सिकन्दर पटेल ने बताया कि बडिंग के लिए दिन के तापमान के साथ-साथ रात के तापमान में भी वृद्धि की आवश्यकता होती है. शीत ऋतु के साथ-साथ वर्षा उत्प्रेरक का कार्य करती है. जिसका अक्टूबर से मिलान नहीं हो सका है. बारिश की इस भारी कमी का असर चाय बागानों पर पड़ा है. उन्होंने कहा की जिनके पास कृत्रिम सिंचाई प्रणाली थी, उन्हें कुछ ही पत्तियां मिल सकती है. बाकी की स्थिति बेहद गंभीर है. उन्होंने माना की नई कलियों की कमी के कारण बागान की स्थिति अब गंभीर है. यही स्थिति इलाके के अन्य बागानों की भी है.

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