बिहार में कड़ाके की ठंड के बीच शिक्षा विभाग और पटना जिला प्रशासन के बीच गरमाहट बढ़ी हुई है. केके पाठक के विभाग के अधिकारियों और डीएम चन्द्रशेखर के बीच तकरार बढ़ती जा रही है. शिक्षा विभाग से अनुमति लिए बिना पटना डीएम द्वारा जिले के स्कूलों को बंद करने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने नाराजगी जताई है. उन्होंने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर पटना डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि आपसे (पटना डीएम) यह उम्मीद नहीं थी कि शिक्षा विभाग के स्पष्ट आदेश के बावजूद आप अनुमति लिए बिना स्कूल बंद कर देंगे. साथ ही उन्होंने सभी दंडाधिकारियों से अनुरोध किया है कि छह लाख शिक्षकों को नियमित स्कूल आने की आदत डालने में विभाग को सहयोग करें.
शिक्षा विभाग ने नहीं आपने किया क्षेत्राधिकार का उल्लंघन : कन्हैया श्रीवास्तव
माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने डीएम पटना को बताया है कि आपने अपने पत्र में जिस क्षेत्राधिकार का उल्लेख किया है. उसका उल्लंघन शिक्षा विभाग ने नहीं किया है. बल्कि आपने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जा कर धारा 144 के तहत पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण आदेश पारित किया है.
सरकारी प्रतिष्ठान कब और किस प्रकार चलेंगे? उसके लिए यह एक रेग्यूलेटरी मैकेनिज्म मौजूद है. लिहाजा सीआरपीसी की धारा 144 लगाना सर्वथा अनुचित है. आपका संबंधित आदेश शिक्षा विभाग के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप है. उन्होंने लिखा है कि परंपरागत तौर पर विद्यालयों पर धारा 144 लगाना गलत है. फिर भी स्कूल बंद करना जरूरी था तो आप शिक्षा विभाग से ऐसा अनुरोध कर सकते थे.
चुनौती देने पर कोर्ट में देना पर सकता है स्पष्टीकरण
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने अघोषित तौर पर डीएम पटना को चुनौती देते हुए कहा है कि इस मामले में आपके आदेश को न्यायालय में चुनौती दी जाये तो आपको स्पष्टीकरण देने पड़ सकते हैं. उदाहरण के लिए डीएम पटना को यह बताना पड़ सकता है कि शीत लहर में केवल बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन ही खतरे में पड़ता है. बीमार और वृद्ध लोगों का जीवन खतरे में नहीं पड़ता है. ऐसा किस आधार पर माना गया?
धारा 144 को लागू करने के लिए क्या तैयारी की गयी?
इसी तरह माध्यमिक निदेशक ने विद्यालय के अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठानों ,दुकानों और सिनेमाघरों आदि को बंद करना तो दूर आपके द्वारा उनके समय में भी बदलाव नहीं किया गया है. धारा 144 लगाने के बावजूद जगह-जगह पर बच्चे आते-जाते दिख जाते हैं, ऐसे में धारा 144 को लागू करने के लिए क्या तैयारी की गयी? साथ ही यह भी पूछा जा सकता है कि मिशन दक्ष एवं बोर्ड परीक्षा के लिए विशेष कक्षाओं के संचालन को किस आधार पर मुक्त किया. आपके उपराेक्त आदेशों में आपसी विरोधाभास है.
छुट्टी का आदेश न्यायिक समीक्षा पर खरा नहीं उतरता : शिक्षा विभाग
कन्हैया प्रसाद ने सवाल उठाते हुए कहा है कि पटना डीएम ने टेम्प्रेचर चार्ट का अध्ययन किस तरह किया. किस प्रकार से समीक्षा की गयी, जिसके आधार पर अवकाश संबंधी आदेश आपकी तरफ से निकाला गया. आपका यह आदेश न्यायिक समीक्षा पर बिल्कुल खरा नहीं उतरता है. हालांकि माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने अपने पत्र में यह भी साफ किया कि चूंकि यह सरकार के दो विभिन्न अंगों का मामला है. इसलिए शिक्षा विभाग आपके इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दे रहा है.
खतरे के निष्कर्ष पर किस तरह पहुंचा गया?
माध्यमिक निदेशक ने कहा कि आपने जान बूझ कर शिक्षा विभाग के आदेश का उल्लंघन कर स्कूल बंद करने का आदेश 21 जनवरी को जारी किया. उन्होंने सवाल उठाया कि पटना जिले में शीत लहर से बच्चों के जीवन पर पैदा होने वाले खतरे के निष्कर्ष पर किस तरह पहुंचा गया. उन परिस्थितियों का जिक्र न तो आदेश में बतायी गयी है, न विभाग को इसकी जानकारी दी गयी है. विभाग का यह मानना है कि यदि धारा144 लगानी चाहिए तो सामाजिक जीवन के सभी अवयवों पर समान रूप से लागू होना चाहिए.
इधर डीएम ने 25 जनवरी तक बंद किए स्कूल
शिक्षा विभाग की नाराजगी के बावजूद पटना के डीएम डा. चंद्रशेखर सिंह ने ठंड के मद्देनजर अपने अधिकारों का हवाला देते हुए 25 जनवरी तक कक्षा आठ तक के पटना जिले के सभी निजी और सरकारी स्कूल, कोचिंग, आंगनबाड़ी केंद्र समेत बंद रखने का आदेश जारी कर दिया. कक्षा नौ से उपर की कक्षा सुबह के नौ बजे के बाद और दोपहर बाद साढ़े तीन बजे तक चलेंगी.
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