मद्य निषेध विभाग की कमान संभालते ही एक्शन में आये केके पाठक, शराब माफियाओं में हड़कंप
बिहार में शराबबंदी कानून को तैयार करनेवाले आइएएस अधिकारी केके पाठक एक बार फिर मद्य निषेध विभाग में लौट आये हैं. सेंट्रल डेपुटेशन से वापसलौटे केके पाठक गुरुवार को पटना के विकास भवन स्थित सचिवालय पहुंचे और मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव का कार्यभार संभाल लिया.
पटना. बिहार में शराबबंदी कानून को तैयार करनेवाले आइएएस अधिकारी केके पाठक एक बार फिर मद्य निषेध विभाग में लौट आये हैं. सेंट्रल डेपुटेशन से वापसलौटे केके पाठक गुरुवार को पटना के विकास भवन स्थित सचिवालय पहुंचे और मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव का कार्यभार संभाल लिया. अब तक मद्य निषेध विभाग का जिम्मा संभाल रहे चैतन्य प्रसाद ने केके पाठक को विभाग का प्रभार दिया.
कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने विभागीय सुनील कुमार से मुलाकात की. श्री पाठक पदभार ग्रहण करते ही सिस्टम को दुरूस्त करने में जुट गये हैं. उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की और आगे की रणनीति पर मंथन किया. इस दौरान गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद भी मौजूद रहे. केके पाठक ने अधिकारियों और कर्मचारियों को आवश्यक निर्देश दिये. अपर मुख्य सचिव ने अपने अधिकारियों से साफ कर दिया कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. हर हाल में शराबबंदी को सफल बनाना है.
शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार के संकल्प को सफल बनाने के लिए केके पाठक की विभाग में वापसी का असर भी दिखने लगा है. केके पाठक के आने मात्र से सचिवालय स्थित विभाग में हड़कंप मचा रहा. साऱे अधिकारी व कर्मी समय से पहले कार्यालय में मौजूद थे. विभाग में केके पाठक की इंट्री के बाद शराब माफियाओं में भी हड़कंप मचा हुआ है.
शराबबंदी की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केके पाठक को कल ही शराबबंदी कानून को सफल बनाने को लेकर मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर पदस्थापित किया था. नीतीश कुमार ने श्री पाठक को जिम्मेदारी देकर अपनी मंशा साफ़ कर दी है. 2016 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून लागू किया था तब भी केके पाठक पर ही यह जिम्मेदारी दी थी. हालांकि कुछ समय बाद उन्हें विभाग से हटा दिया गया था.
Posted by Ashish Jha