बिहार के सरकारी स्कूलों में निरीक्षण को और बेहतर व असरदार बनाने के लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने मंगलवार को दिशा निर्देश जारी किए हैं. इसके लिए उन्होंने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है. उन्होंने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि स्कूलों के प्रभावी निरीक्षण के लिए ब्लाक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (बीपीएमयू) सक्रिय की जायें. बीपीएमयू में 14 कर्मी कार्यरत होने चाहिए. जिस ब्लॉक में 14 कर्मी नहीं हैं, वहां निर्धारित एजेंसी से कर्मियों की कमी पूरी की जाये. इस संदर्भ में उन्होंने पत्र के माध्यम से जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं. बीपीएमयू के सभी पदाधिकारी एवं कर्मचारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के सीधे नियंत्रण में रहेंगे.
ब्लाक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट में शामिल किए जाएंगे ये पदाधिकारी
बीपीएमयू के चौदह पदाधिकारी या सदस्यों में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के अलावा प्रखंड परियोजना प्रबंधक, जूनियर मैनेजर अथवा कनीय अभियंता, मध्याह्न भोजन का प्रखंड साधन सेवी, जनशिक्षा के मुख्य साधन सेवी, बिहार शिक्षा परियोजना के पांच प्रखंड साधन सेवी एवं अन्य पदाधिकारी शामिल किये जायेंगे.
होमवर्क और टेस्ट की जानकारी लेनी अनिवार्य
अपर मुख्य सचिव पाठक ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा है कि स्कूल परिसर में ग्रीन अथवा ब्राउन एरिया को खराब न किया जाये. उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान स्कूलों के खाते में पड़ी राशि की भी जानकारी ली जाये. प्रत्येक माह के अंत में मासिक परीक्षा , प्रति सप्ताह टेस्ट और प्रतिदिन होमवर्क दिया जा रहा है या नहीं, इसकी जानकारी निरीक्षण के दौरान अनिवार्य तौर पर ली जाये.
स्कूल में नौ बजे से पहले सभी दरवाजों के ताले खोलें जाएं
अपर मुख्य सचिव ने दो टूक आदेश दिये हैं कि कोई भी पदाधिकारी स्कूल के निरीक्षण पर जाये तो विद्यालय के सभी कमरों के ताले खुलवाये. इससे पहले प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट निर्देश दें कि वह सुबह नौ बजे से पहले सभी दरवाजों के ताले खोलें. साथ ही विद्यालय अवधि के बाद कमरों के ताले लगवाएं. इस निर्देश का पालन होना चाहिए. हाउस कीपिंग की भी जानकारी ली जाये. इस तरह शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने प्रभावी निरीक्षण के मापदंड तय कर दिये हैं.
प्रतिदिन 40000 स्कूलों का हो रहा निरीक्षण
केके पाठक ने कहा कि सभी स्कूलों का सप्ताह में तीन बार निरीक्षण किया जा रहा है. वहीं राज्यभर में प्रतिदिन 40000 स्कूलों में इन्स्पेक्शन हो रहा है. इसके कई सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं. स्कूलों में शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति में इजाफा हुआ है. हालांकि अभी भी कई स्कूल ऐसे हैं जहां सुधार की बहुत आवश्यकता है. अभी भी बहुत कुछ करना है.
निरीक्षण इफेक्टिव होना चाहिए
केके पाठक ने कहा कि कई जगह ऐसा देखा गया है कि पदाधिकारी मौखिक या रूटीन तरीके से ही स्कूलों का निरीक्षण करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए निरीक्षण को हमें सिर्फ उपस्थिति तक ही सीमित नहीं रखना. बल्कि हमें निरीक्षण के दौरान स्कूल के सभी पहलुओं की जांच करने है साथ ही शिक्षा के स्तर की भी जांच करनी है. उन्होंने कहा कि निरीक्षण सिर्फ खनपूर्ति के लिए नहीं होनी चाहिए. निरीक्षण इफेक्टिव होना चाहिए.
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को भेज दी गई चेक लिस्ट
उल्लेखनीय है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के कार्यों से संंबधित चेक लिस्ट भी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को भेज दी है. उदाहरण के लिए आइसीटी लैब वाले स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है या नहीं, प्रतिदिन के निरीक्षण के निष्कर्षों और शिक्षा सेवकों की प्रतिदिन की हाजिरी आदि को ई शिक्षा कोष पर अपडेट करना शामिल है.
इन बिंदुओं पर निरीक्षण का निर्देश
-
विद्यालय में साफ सफाई ठीक से हो रही है या नहीं
-
शौचालय, कक्षा, फर्नीचर, लैब लाइब्रेरी की सफाई हुई है या नहीं
-
लैब, लाइब्रेरी सही तरीके से कार्य कर रही है या नहीं
-
सरकार द्वारा भेजे गए उपकराओ एवं खेल-कूद के सामान का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं
-
मासिक परीक्षा, साप्ताहिक टेस्ट और प्रत्येक दिन होमवर्क दिया जा रहा है या नहीं
-
विद्यालय में कितने प्रकार के खाते हैं और उसमें कितनी राशि है
-
शिक्षक और छात्रों की उपस्थिति की जांच करें