KK Pathak News: के के पाठक बेखौफ होकर फैसले कैसे लेते हैं? जानिए विरोधों के बाद भी क्यों नहीं पीछे हटाते कदम

KK Pathak News: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक सख्त फैसले कैसे ले पाते हैं. आखिर लगातार होने वाले विरोधों के बीच वो किस तरह अपने सख्त फैसले से पीछे नहीं हटते. इसके पीछे की बड़ी वजह क्या है. जानिए पूरी जानकारी..

By ThakurShaktilochan Sandilya | January 11, 2024 11:45 AM

KK Pathak News: बिहार में कड़क मिजाज के आइएएस अफसर के के पाठक ने जब से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद की कमान संभाली है तब से ही वो सुर्खियों में बने हुए हैं. बिहार में स्कूलों की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए के के पाठक एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. इसके लिए वो खुद दिन-रात एक किए हुए हैं. जिलों में जाकर स्कूलों और शिक्षा विभाग का निरीक्षण कर रहे हैं. कहीं लापरवाही दिखने पर के के पाठक ऑन स्पॉट फैसला लेते हैं और उनके रडार पर चढ़े कई शिक्षक व शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर अबतक गाज गिर चुकी है. के के पाठक का विरोध भी बड़े स्तर पर हुआ लेकिन वो उन विरोधों के सामने भी डटे रहते हैं और अपना काम मजबूती से करते हुए बढ़ते हैं.

नीतीश कुमार के भरोसेमंद अफसरों में एक के के पाठक

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक सख्त फैसले ले रहे हैं. जब से उन्होंने विभाग में पद संभाला है तब से कई परिवर्तन विभाग में दिखे हैं. के के पाठक के कई फैसलों का विरोध भी हुआ लेकिन वो अपने अंदाज में ही बढ़ते जा रहे हैं. इसके पीछे की भी कई वजहें हैं. दरअसल, के के पाठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद आइएएस अफसरों में एक हैं. नीतीश कुमार ने जब भी किसी विभाग के कामों को दुरुस्त करने का फैसला लिया तब अपने भरोसेमंद अफसरों को उन्होंने विभाग में अहम जिम्मेवारी दी. के के पाठक का इस्तेमाल भी उन्होंने ऐसे ही मामलों में किया है.

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शराबबंदी लागू करने में के के पाठक का बड़ा योगदान

नीतीश कुमार ने जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी का अहम और ऐतिहासिक फैसला लिया था तब इसे सफल बनाने की बड़ी जिम्मेवारी के के पाठक को दी गयी थी. केके पाठक के पास तब मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की कमान थी. वहीं के के पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी भेजे गए. लेकिन जब शराब से हो रही मौत की संख्या बढ़ने लगी और नीतीश सरकार पर सियासी हमले होने लगे तब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे कड़क मिजाज अधिकारी केके पाठक को फिर से विभाग की कमान थमा दी. इसका असर भी सामने दिखने लगा जब ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू हो गयी थी. वहीं इस बीच बिहार में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ और नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर महागठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री बने.

शिक्षा मंत्री से भी उलझ गए के के पाठक

महागठबंधन सरकार में शिक्षा विभाग के मंत्री राजद कोटे से डॉ चंद्रशेखर बनाए गए. वहीं नीतीश कुमार ने के के पाठक को शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया. पद संभालने के बाद से ही के के पाठक एक्शन में आ गए. उन्होंने कई सख्त फैसले लिए. शिक्षकों और छात्राें की उपस्थिति को लेकर उन्होंने विशेष तौर पर कई आदेश जारी किए. लाखों ऐसे बच्चों के नाम काटे गए जो स्कूल नहीं आते थे. समय पर स्कूल नहीं आने वाले शिक्षकों पर गाज गिरने लगी. वहीं इस बीच विरोध के सुर भी के के पाठक के खिलाफ उठे लेकिन के के पाठक पीछे नहीं हटे. उन्होंने विभाग के लचर पदाधिकारियों पर भी एक्शन लेना शुरू किया.

नीतीश कुमार के मिशन पर काम करे के के पाठक 

के के पाठक इस बीच शिक्षा मंत्री से भी उलझ गए. दोनों के बीच लेटर वॉर शुरू हुआ. वहीं शिक्षा मंत्री ने खुलकर के के पाठक को चेतावनी दे दी. लेकिन के के पाठक अपने अंदाज में बढ़ते रहे. मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया और सीएम नीतीश कुमार ने दाेनों को बैठाकर मामले को शांत कराया. नीतीश कुमार शिक्षा व्यवस्था में सुधार चाहते थे और के के पाठक ने अपने फैसलों से उन्हें ये विश्वास दिला दिया कि वो इस दिशा में मजबूती से बढ़ रहे हैं. जिसके बाद पटना के गांधी मैदान में खुले मंच से सीएम नीतीश कुमार ने के के पाठक के प्रयासों की तारीफ तक की. एक संदेश अब साफ जा चुका है कि खुद नीतीश कुमार के के पाठक के कामों से खुश हैं और उनके लिए मजबूत कवच हैं. वो व्यवस्था में जिस सुधार की सोच रखते हैं, के के पाठक उस दिशा में बेहतर कर रहे हैं. ऐसी ही कुछ वजह होगी जो विभाग के लिए वो खुलकर फैसले लेते हैं.

एक्शन में रहते हैं के के पाठक

बता दें कि के के पाठक स्कूलाें का निरीक्षण करते हैं तो जहां उन्हें लापरवाही दिखती है वहां कड़ा फैसला सुनाते हैं. हाल में ही स्कूल के लिए बर्तन की खरीद तय समय तक नहीं होने पर एमडीएम के 34 डीपीओ का वेतन उन्होंने रोक दिया. स्कूलों के जर्जर भवन उनके आदेश से तोड़े जाने लगे. कंप्यूटर की मजबूत व्यवस्था स्कूलों में होने लगी. शिक्षक तय समय तक स्कूलों में रहते हैं और विभाग के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करते हैं. वहीं शिक्षकों का चयन भी अब बीपीएससी की परीक्षा के जरिए हो रहा है. के के पाठक का इन सुधारों में अहम योगदान है. गांव में लोग भी के के पाठक के इस अंदाज को पसंद करते हैं.

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