बिहार में मशाल लेकर घूमने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई, केके पाठक ने चिह्नित कर कार्रवाई करने का दिया आदेश
मशाल जुलूस व आंदोलन में भाग लेने वाले नियोजित शिक्षकों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी. इससे संबंधित आदेश शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र के माध्यम से दिया है.
बिहार के विभिन्न जिलों में नियोजित शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा के विरोध में बीते शनिवार (10 फरवरी) को मशाल जुलूस निकाला था. अब इस जुलूस में शामिल शिक्षकों को लेकर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिख कर निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि मशाल जुलूस एवं आंदोलन में शामिल हो रहे नियोजित शिक्षकों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कठोर अनुशासनिक कार्रवाई करें. इसकी सूचना विभाग को तत्काल उपलब्ध कराएं.
शिक्षकों के आचरण के विपरीत है आंदोलन
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसी सूचना मिल रही है कि राज्य के विभिन्न जिलों में नियोजित शिक्षकों के संगठन सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस निकाल रहे हैं. आंदोलन कर रहे हैं. नियोजित शिक्षकों की ये सारी गतिविधियां शिक्षकों के आचरण के बिल्कुल विपरीत है.
प्रदर्शन करने वालों पर प्राथमिकी
दरअसल, शिक्षा विभाग सक्षमता परीक्षा का विरोध कर रहे आंदोलन को किसी भी कीमत पर खत्म कराना चाहता है. शिक्षा विभाग ने कहा है कि ऐसे आंदोलनकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी और उनके खिलाफ प्राथमिक दर्ज कराने की बात भी कही गयी है. जानकारी के मुताबिक नियोजित शिक्षक 13 फरवरी को सक्षमता परीक्षा के विरोध में पटना में एक बड़े आंदोलन करने की घोषणा कर चुके हैं.
नियोजित शिक्षकों के लिए सक्षमता परीक्षा पास करना अनिवार्य
बता दें कि नियोजित शिक्षकों का सक्षमता परीक्षा में बैठना और इसे पास करना अनिवार्य कर दिया गया है. शिक्षकों को परीक्षा पास करने के लिए चार मौके दिए जाएंगे, जिसमें से तीन परीक्षा में बैठना अनिवार्य होगा. वहीं परीक्षा में सफल नहीं होने पर नियोजित शिक्षक नौकरी से निकाल दिए जाएंगे. केके पाठक की अध्यक्षता में बीते दिनों गठित की गई एक कमिटी ने यह निर्णय दिया था.
क्या कहना है नियोजित शिक्षकों का
नियोजित शिक्षकों का कहना है कि सरकार सक्षमता परीक्षा के बहाने शिक्षकों को आयोग घोषित करना चाहती है. जब नियोजित शिक्षकों के प्रोन्नति की बारी आती है तब सरकार उन पर एक नया नियम थोपना चाहती है. सेवा लाभ नहीं देना चाहती है. जब शिक्षकों की योग्यता जांच के लिए पूर्व में ही सरकार दक्षता परीक्षा ले चुकी है. तो फिर समक्षता परीक्षा कहा से आ गया. एक शिक्षकों का सरकार कितनी बार परीक्षा लेगी. सरकार की विशिष्ठ शिक्षक नियमावली शिक्षकों के विरुद्ध है.