बिहार शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए निर्देश का एक महीना गुजर जाने के बाद भी नामांकित छात्र-छात्राओं का नाम और डेटा डीबीटी पर इंट्री नहीं करने पर जहानाबाद जिले के 689 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के वेतन पर रोक लगा दी गयी है. 30 सितंबर तक इंट्री का काम पूरा नहीं होने पर इन पर विभागीय कार्रवाई की जायेगी. इसके साथ ही इंट्री पूरा होने तक सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के वेतन पर भी रोक रहेगी.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा के दौरान हुआ खुलासा
यह पूरा मामला तब सामने आया, जब 18 सितंबर को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक, जिले के डीइओ सहित अन्य पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा कर रहे थे. जिले में प्राथमिक, माध्यमिक और हाइस्कूल मिला कर कुल 961 विद्यालय हैं. जब अपर मुख्य सचिव ने डीबीटी का आकलन किया तो पाया कि इनमें से 689 विद्यालयों ने डीबीटी में डेटा इंट्री के लिए अभी तक पोर्टल खोल कर देखा भी नहीं है. इन विद्यालयों में नामांकित छात्र-छात्राओं का डाटा इंट्री शून्य है.
केके पाठक ने लगाई फटकार
इस पर अपर मुख्य सचिव ने फटकार लगाते हुए इन स्कूलों के हेडमास्टरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 24 घंटे के अंदर डाटा इंट्री पूरा करने का निर्देश दिया. इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी रोशन आरा ने आदेश जारी कर सभी 689 स्कूलों के हेडमास्टरों का वेतन बंद करते हुए उन्हें 24 घंटे के अंदर अपने-अपने विद्यालयों के सभी छात्र-छात्राओं का डाटा डीबीटी पोर्टल पर इंट्री करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही उन्होंने जिले के सभी प्रखंडों के बीइओ को इसमें व्यक्तिगत रुचि लेते हुए इंट्री कराने का निर्देश देते हुए कहा है कि डाटा इंट्री होने तक उनका वेतन भी बंद रहेगा.
18 सितंबर तक 689 स्कूलों के हेडमास्टरों ने पोर्टल को खोलकर भी नहीं देखा
बता दें कि शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किया था कि डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ) के लिए सभी स्कूलों के हेडमास्टर 16 अगस्त से मेधासाॅफ्ट पोर्टल पर छात्र-छात्राओं के नाम और डेटा इंट्री शुरू कर दें, लेकिन एक महीना बाद 18 सितंबर तक 689 स्कूलों के हेडमास्टरों ने पोर्टल को खोलकर देखा भी नहीं था.
सितंबर माह में राज्य के सरकारी स्कूलों में 17.66 लाख निरीक्षण
इधर बिहार के स्कूलों में शुरू हुए निरीक्षण कार्य में शिक्षा विभाग को बड़ी सफलता मिली है. विभाग ने 15 सितंबर तक राज्य के सभी स्कूलों के कुल 17.66 लाख निरीक्षण किये हैं. इसमें 14.48 लाख स्कूली निरीक्षणों को ई शिक्षा कोष में दर्ज किया जा चुका है. निरीक्षण के दस्तावेजों को डिजिटल दस्तावेजों के रूप में संरक्षित कर लिया गया है.
ऑन लाइन दर्ज हो रही निरीक्षण रिपोर्ट
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक निरीक्षण की समूची गतिविधियों को ऑन लाइन दर्ज हो जाने के बाद इसे स्कूल की केस हिस्ट्री के रूप में देखा जायेगा. निरीक्षण रिपोर्ट में स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर बच्चों की उपस्थिति तक की जानकारी होगी. किस स्कूल में क्या कमी है? क्या सुधार हुआ? इससे विभाग आगामी समय में स्कूल की बेहतरी के लिए जरूरी कदम उठा सकता है.
23 जुलाई तक के 4.03 लाख निरीक्षण ई शिक्षा कोष पर दर्ज
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक अभी भी 3. 17 लाख स्कूल निरीक्षण ई शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज किया जाना है. शिक्षा विभाग की तरफ से यह आंकड़े पहली बार जारी किये गये हैं. शिक्षा विभाग से मिली आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 23 जुलाई तक सभी जिलों के स्कूलों में 5.08 लाख स्कूलों का निरीक्षण किये गये. इनमें 4.03 लाख निरीक्षण ई शिक्षा कोष पर दर्ज हो चुके हैं.
23 अगस्त तक के 6.73 लाख निरीक्षण दर्ज
इसके बाद 23 अगस्त तक 7.99 लाख निरीक्षण हुए. इसमें से ई शिक्षा कोष पर 6.73 लाख निरीक्षण दर्ज कर लिये गये हैं. इसके बाद से 15 सितंबर तक कुल स्कूली निरीक्षण की संख्या 4.57 लाख थी. इसमें से 3.71 लाख निरीक्षण ई शिक्षा कोष में दर्ज किये गये हैं. शिक्षा विभाग ने यह आंकड़े जिलेवार तारी किये हैं.
इन जिलों में हुए सबसे अधिक स्कूल निरीक्षण
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जिला- स्कूल निरीक्षण की संख्या
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पश्चिमी चंपारण- 101626
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मधुबनी- 90673
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मुजफ्फरपुर – 82277
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समस्तीपुर- 78132
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पटना- 75469
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सारण- 75553
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पूर्वी चंपारण- 73001
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दरभंगा- 70654
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गया- 62286
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सिवान-59886