भागलपुर/पटना. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जहां देश में तीन से चार लाख कोविड संक्रमित मरीजों की पहचान रोजाना हो रही है. वहीं भागलपुर समेत पूरे देश में लगातार कोरोना जांच की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है.
ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस विषम परिस्थिति से निपटने के लिए आनन फानन में कई लंबित प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है. इस कड़ी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी भागलपुर (ट्रिपल आइटी) द्वारा विकसित कोरोना जांच सॉफ्टवेयर को मान्यता देने की कवायद शुरू की गयी है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की इकाई आइसीएमआर ने सलाहकार समिति का गठन किया गया. समिति के सदस्य हाल ही में सॉफ्टवेयर द्वारा कोविड मरीजों की रिपोर्ट का आंकलन करेंगे. इसके बाद इस सॉफ्टवेयर को मान्यता देकर कोविड जांच कार्य में गति देने का प्रयास करेंगे.
जानकारी देते हुए ट्रिपल आइटी भागलपुर के निदेशक डॉ अरविंद चौबे ने बताया कि पटना एम्स में शुक्रवार तक कई कोविड मरीजों के एक्सरे व सिटी स्कैन इमेज की जांच कोविड डिटेक्टिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जायेगी.
मरीज के निगेटिव या पॉजेटिव होने की रिपोर्ट को सलाहकार समिति अध्ययन करेगी. इसके बाद इसकी रिपोर्ट को आइसीएमआर के पास भेजा जायेगा. निदेशक ने बताया कि सोमवार तक आइसीएमआर इस सॉफ्टवेयर की मान्यता को लेकर फैसला ले लेगा.
बता दें कि ट्रिपल आइटी भागलपुर द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर किसी मरीज के छाती के एक्सरे व सिटी स्कैन की रिपोर्ट देखकर मजह दो सेकेंड में कोविड पॉजिटिव या निगेटिव रिपोर्ट बता देगा. इसके लिए मरीज के मुंह या नाक से सैंपल लेने की जरूरत नहीं है.
निदेशक ने बताया कि यह दुनियां का पहला सॉफ्टवेयर है जो एक्सरे व सिटी स्कैन का इमेज देखकर रिपोर्ट बनायेगा. देश के शिक्षा मंत्री व राज्य स्वास्थ्य मंत्री ने अपने ट्विटर के माध्यम से इस सॉफ्टवेयर की सफलता की जानकारी आमलोगों में शेयर कर चुके हैं. लेकिन किस वजह से इस सॉफ्टवेयर को अबतक मान्यता नहीं मिली, यह कहना मुश्किल है.