विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी शुक्रवार को अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के क्रम में सारण पहुंचे. सहनी ने सारण में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार, यूपी और झारखंड के निषादों का आरक्षण हक है. हम कोई भीख नहीं मांग रहे, हक मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली और पश्चिम बंगाल में निषाद को आरक्षण मिल रहा है तो इन राज्यों में क्यों नहीं, जबकि देश के पीएम एक है और संविधान एक है. सहनी ने उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हम एकजुट रहे तो पटना और लखनऊ क्या दिल्ली भी हमारे लिए दूर नहीं है. इसकी हमने एक बानगी देखी है जब बिहार के युवा आरक्षण के लिया यहां संकल्प लेते है और कुर्सी दिल्ली में हिलती है. इसके साथ ही उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से संघर्ष का संकल्प लेने का आग्रह करते हुए कहा कि हमारा यही संकल्प निषादों के उज्जवल भविष्य को तय करेगा. सहना ने कहा कि आज हम अगर संकल्प ले लिए तो केंद्र में बैठी सरकार की गलतफहमी दूर हो जायेगी और फिर से निषादों का वोट खरीदने के लिए जोड़ तोड़ में लग जायेंगे. लेकिन अब निषाद संकल्प लेकर तय कर लिया है जो उनकी सुनेगा वे भी उन्हीं की सुनेंगे, जो हमारी नहीं सुनेगा, उसकी हम भी नहीं सुनेंगे. सहनी ने इससे पहले अपने लोगों को हाथ में गंगा जल लेकर आने वाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए पढ़ाने तथा अधिकारों के लिए संघर्ष करने का संकल्प दिलवाया.
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा लेकर आज (मंगलवार) को लालू प्रसाद के गृह जिला गोपालगंज पहुंचे. गोपालगंज जिला में उनकी यात्रा की शुरुआत दिघवा दुवैली से हुई. यहां पर मुकेश सहनी ने अपने समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यादव समाज ने लालू प्रसाद का साथ दिया तो आज यादवों का विकास हुआ है. इसलिए आज यह जरूरी है कि हम भी संगठित हो और अपने समाज के विकाश को लेकर सोचें. उन्होंने आगे कहा कि यादवों के बाद प्रदेश में सबसे अधिक संख्या निषादों की है. निषाद समाज के विकास के लिए जरूरी है कि हम एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिया संघर्ष करें और अपने नेता और पार्टी के साथ खड़े रहें.
सहनी ने कहा कि कई राज्यों में आज निषादों को आरक्षण है. लेकिन बिहार, यूपी और झारखंड में नहीं है. उन्होंने कहा कि पूर्वजों ने जो गलती की है हम भी वही गलती करते हुए अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष नहीं किया तो आने वाली पीढ़ी को इसके लिए संघर्ष करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पहले राजा के यहां ही राजा पैदा होता था लेकिन आज जिसके पास वोट होगा वह कोई भी हो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बन सकता है. उन्होंने कहा कि निषाद के पास वोट है बस इसके अधिकार को समझने की जरूरत है. उन्होंने साफ लहजे में कहा कि जो हमारी सुनेगा, उसकी हम सुनेंगे, जो हमारी नहीं सुनेगा उसकी हम भी नहीं सुनेंगे.
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इससे पहले वीआइपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के क्रम में खगड़िया में कहा था कि आज हमलोगों के पास सबसे बड़ा हथियार वोट का अधिकार है, लेकिन हमें इस ताकत को हनुमान जी की तरह पहचानने की जरूरत है. हनुमान जी को जब अपनी ताकत का एहसास हुआ, तो रावण की लंका जला दी. हमें इस वोट की ताकत को पहचानना होगा.
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कुछ दिन पहले मुकेश सहनी ने गया की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि मल्लाह गंगा की संतान हैं और आरक्षण के लिए गंगा मां ने ही संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया है. अब हम अपना हक लेकर रहेंगे. इसके लिए चाहे जितना संघर्ष करना पड़े हम करेंगे. उन्होंने आगे कहा था कि संघर्ष से कुछ भी पाना मुमकिन है. तो फिर हम सभी को ये करना चाहिए. उन्होंने लोगों से कहा कि हम अगर एकजुट हो गए तो अपने दम पर बिहार में सरकार बनायेंगे. इस क्रम में उन्होंने बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों को हाथ में गंगाजल देकर निषादों को आरक्षण दिलाने के लिए तथा अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए संकल्प भी दिलवाया था. सहनी ने टेकारी और बैजूधाम ग्राउंड में अपनी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के वर्षों बाद भी हम अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं. सम्मान और अधिकार के लिए संकल्प लेना होगा.
उन्होंने साफ लहजे में केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आरक्षण नहीं तो किसी हाल में कोई समझौता नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मल्लाह जाति के लोग जाल में मछली फंसाते हैं खुद फंसते नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पहले आरक्षण मिलेगा फिर कोई भी समझौता होगा. वीआईपी के नेता ने लोगों को सिर उठाकर जीने का मंत्र देते हुए कहा कि आप सभी बच्चों को पढ़ायें और अपने अधिकार के लिए संघर्ष करें. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा कि आपको अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी. आपकी लड़ाई कोई और नहीं लड़ेगा. सहनी मुंगेर में अपनी संकल्प यात्रा के दौरान कही. उन्होंने आगे कहा कि लालू प्रसाद, स्वर्गीय रामविलास पासवान इसके उदाहरण हैं. इनके समाज के लोगों ने जब अपने अधिकार के लिए अपनी ताकत दिखाई तभी उनका समाज आगे बढ़ा. सहनी ने कहा कि हमें भी आज जरूरत है कि संकल्पित होकर संघर्ष करें.