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असम के सांसद नबा सरानिया ने बिहार के चुनावी मैदान में रखा कदम, वाल्मीकिनगर से किया नामांकन

असम के कोकराझार से दो बार के निर्दलीय सांसद नबा सरानिया ने बिहार के वाल्मिकीनगर से नामांकन दाखिल किया है. इस बार कोकराझार से उनका नामांकन रद्द हो गया और गुवाहाटी हाई कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली.

Lok Sabha Election: असम के कोकराझार से दो बार के निर्दलीय सांसद नबा सरानिया ने इस बार वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र से अपना नामांकन किया है. गण सुरक्षा पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष नबा सरानिया सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे और नामांकन दाखिल किया. इस सीट पर उनका मुकाबला जदयू के सुनील कुमार और राजद के दीपक यादव से होगा. थारू बाहुल्य इस सीट पर सरानिया के नामांकन के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

कोकराझार से निर्दलीय सांसद हैं नबा सरानिया

सरानिया वर्ष 2014 से ही लगातार दो टर्म कोकराझार से निर्दलीय सांसद रहे हैं. हालांकि इस बार किसी कारणवश वहां उनका नामांकन पत्र रद्द हो गया था. जिसके बाद वो गुवाहटी हाईकोर्ट भी पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली. ऐसे में उन्होंने वाल्मीकिनगर से चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

क्या बोले नबा सरानिया

कलेक्ट्रेट में नामांकन करने पहुंचे सांसद नबा सरानिया ने बताया कि असम में कुछ टेकनिकल कमियों से उनका नामांकन रद्द हो गया था. यहां वाल्मीकिनगर से चुनाव लड़ने का उद्देश्य आदिवासी, पिछडा, अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए कार्य करना, उनको आगे बढाना व सोशल पहचान दिलाना है.

नबा सरानिया ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी जाकर चुनाव लड़ सकते है, तो मैं वाल्मीकिनगर से क्यों नहीं लड़ सकता हूं. अगर जीत होती है, तो सभी वर्गों के विकास का काम करूंगा.

उल्फा की 709 बटालियन के रह चुके हैं कमांडर

बता दें कि इससे पहले सरानिया असम के उल्फा की 709 बटालियन के कमांडर रह चुके हैं. वह असम के बक्सा जिले के दिघलीपार गांव से हैं. 1990 में उन्होंने संगठन ज्वाइन किया था. 20 अगस्त 2012 को, गुवाहाटी पुलिस ने तीन अन्य लोगों के साथ लूट, किडनैप और मर्डर के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया था.

कोकराझार से चुनाव जीतने वाले पहले गैर-बोडो नेता हैं नबा सरानिया

असम की कोकराझार लोकसभा से लगातार 2014 से सांसद हैं. यह एसटी के लिए रिजर्व सीट है. उन्होंने 2019 में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद की प्रमिला रानी ब्रह्मा को 37,786 वोटों से हराया था. सरानिया को 4,84,560 वोट मिले. 2014 में भी उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. वह कोकराझार से पहले गैर-बोडो नेता है जिन्होंने चुनाव जीता था.

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