नेपाल में हो रही बारिश की वजह से कोसी नदी में उफान है. सुपौल में बाढ़ के हालात बन चुके हैं. कोसी का पानी गांवों में प्रवेश कर चुका है. जिससे लोग अब पलायन करने के लिए मजबूर हैं.
कोसी नदी का डिस्चार्ज शुक्रवार को 4 लाख 14 हजार क्यूसेक तक पहुंच चुका है. इसका सबसे अधिक प्रभाव पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर बसे गांवों में दिखा. जलस्तर में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण घर घर में पानी घुस गया. जिससे अफरातफरी की स्थिति बन गयी. लोग जान माल की सुरक्षा के लिए ऊंचे स्थान की ओर पलायन करने लगे.
कोसी नदी के जलस्तर में एक बार फिर से वृद्धि होने से तटबंध के किनारे बसे लोगों की जिंदगी नाव के सहारे कट रही है. प्रखंड के सिसौनी, जोबहा एवं घोघररिया पंचायत के खोखनाहा गांव पानी से पूरी तरह घिर गया है. लोगों को अपने घर से निकलने का एक मात्र सहारा नाव ही बचा हुआ है.
नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से धान की फसल पूरी तरीके से डूब गया है. वहीं सिसौनी पंचायत के वार्ड 10, 11, 12, 13 एवं 14 के लोगों के घर आंगन में पानी जमा होने के कारण मिट्टी के बने दीवार अब टूटने लगी है. घर की महिलाओं को खाना बनाने में काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है.
बाढ़ प्रभावित इलाका छतौनी, परसाही, दुबियाही, चॉदीप गांव निवासियों को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पानी जब रिहायशी इलाकों में घुसा तो पशुपालकों के बीच मवेशी की पशु चारा को लेकर परेशानी बढ गयी. बावजूद कई लोग अभी तक ऊंचे स्थल की ओर नहीं जा रहे हैं.
सातनपट्टी, पिपराही एवं साहेवन में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए एक दशक पूर्व 01 करोड़ 35 लाख की लागत से बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण किया गया है. लेकिन उचित देखभाल नहीं होने के कारण यह आश्रय स्थल जर्जर हो चुका है. लोग इसमें जलावन रख रहे. वहीं कई पशु पालक अपने पशुओं का इसको शेलटर बना रखा है. जिस पर प्रशासन की नजर नहीं है.