पटना. कुढ़नी उपचुनाव में अपने परंपरागत भूमिहार वोटों में सेंधमारी रोकने को भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है. वीआईपी के उम्मीदवार निलाभ कुमार के जरिए भूमिहार वोटों में सेंधमारी का डर भाजपा को परेशान कर रखा है. कुढ़नी में भूमिहार वोट में सेंधमारी परिणाम को प्रभावित कर सकती है. भाजपा ने भमिहार समाज से आने वाले नेताओं को कुढ़नी में खास जिम्मेदारी दे रखी है. भाजपा ने अपने तमाम भमिहार नेताओं का कुढ़नी में कार्यक्रम तय किया है. कई नेता कुढ़नी का दौरा कर चुके हैं और कई नेताओं को वहां कैंप करने की जिम्मेदारी दी गयी है. राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर कुढ़नी का दौरा कर चुके हैं. वह लगातार भूमिहार वोटो के बिखराव को रोकने के प्रयास में जुटे हुए हैं. भाजपा का पूरा प्रयास है कि उसके वोटों में सेंधमारी ना हो, साथ ही साथ इस बात पर भी भाजपा की नजर है कि ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार गुलाम मुर्तजा महागठबंधन वोट में कितनी सेंध लगा पाते हैं.
इधर, कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन का प्रचार अभियान भी अब तेज हो चुका है. एक दिसंबर को जदयू अध्यक्ष ललन सिंह के साथ तेजस्वी को चुनावी जनसभा संबोधित करनी है, हालांकि सबसे बड़ा क्लाइमैक्स 2 दिसंबर को होगा. जब चाचा और भतीजे की जोड़ी बिहार में नयी सरकार बनाने के बाद पहली बार किसी चुनावी जनसभा को साथ-साथ संबोधित करेगी. जदयू ने अपने नेताओं को कुढ़नी में कैंप कराना शुरू कर दिया है. कई ऐसे चेहरे हैं जिन्हें पूरे विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क का जिम्मा दिया गया है, जबकि कई पूर्व मंत्रियों को पंचायत स्तर पर कैंप करने के लिए कह दिया गया है. नेताओं की पूरी सूची जदयू ने तैयार की है, जिन्हें अब चुनाव प्रचार खत्म होने तक कुढ़नी में ही कैंप करने को कहा गया है.
कुल 3 लाख 11 हजार 728 मतदाता वाले इस इलाके की जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति के वोटर हैं. जदयू ने मनोज कुमार सिंह उर्फ मनोज कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया हैं. दूसरे नंबर पर वैश्य समाज हैं, जिनके मतदाता की संख्या करीब 33 हजार के आसपास है. भाजपा ने केदार गुप्ता को एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा सहनी समाज 25 हज़ार के साथ तीसरे नंबर पर खड़ी है, जिनके भरोसे मुकेश सहनी भूमिहार जाति के नीलाभ कुमार को प्रत्याशी के तौर पर उतारा है.
कुढ़नी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 22 हज़ार के आसपास है, जिसपर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के उम्मीदवार जिला पार्षद मुर्तजा अंसारी को प्रत्याशी के तौर पर उतारा है. वैसे 23 हज़ार यादव समाज के साथ कोइरी और कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में यहां मौजूद हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है, जिन पर चिराग पासवान की नजर हैं. अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता हैं, जिनकी नाराजगी को भाजपा को दूर करना है.
नाम वापसी की समय सीमा खत्म होने के बाद अब कुढ़नी के चुनावी मैदान में कुल 13 उम्मीदवार बचे हैं. 13 में से 4 उम्मीदवार चर्चा के केंद्र में हैं. कुढ़नी में 5 दिसंबर को वोट पड़ने हैं. जदयू के उम्मीदवार मनोज कुशवाहा, भाजपा के केदार गुप्ता, वीआईपी के निलाभ कुमार और एआईएमआईएम के मोहम्मद गुलाम मुर्तजा पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. कुढ़नी सीट पर पहले राजद का कब्जा हुआ करता था, लेकिन इस बार यह सीट जदयू के पाले में चली गयी है, लेकिन महागठबंधन हर हाल में इस सीट पर फिर से कब्जा जमाना चाहता है. दरअसल, यहां के वोट में इन दोनों का झपट्टा, नतीजा तय करेगा. ऐसा इसलिए भी कि यहां जीत- हार का अंतर बहुत कम रहा है. पिछले चुनाव में सिर्फ 712 वोट से जीत हुई थी.