राजेश कुमार ओझा
बिहार में इन दिनों ‘कुशवाहा’ पर बवाव मचा है.पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के बागी तेवर के बाद बिहार में कुशवाहा समाजा से आने वाले सियासत के 3 खिलाड़ियों की खूब चर्चा हो रही है.इन तीनों नेताओं की वजह से ही बिहार की सियसात गरमाई हुई है. दरअसल, ये तीनों अपने को कुशवाहा समाज का नेता बताते हैं. इसके साथ ही ये लोग लोकसभा चुनाव से पहले समाज के वोट को अपने पाले में करने की जुगात में भी लगे हैं. यही कारण है कि ये तीनों अपने समाज के लोगों को गोलबंद करने के लिए हर प्रकार की रणनीति बना रहे हैं. इन तीन नेताओं में 90 और 10 प्रतिशत के बयान से चर्चा में आए आरजेडी नेता और बिहार सरकार में मंत्री आलोक मेहता और नीतीश कुमार से अपना हक मांग रहे जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता सम्राट चौधरी शामिल हैं.
सबसे पहले हम चर्चा उपेंद्र कुशवाहा की करते हैं.. उपेन्द्र कुशवाह जदयू संसदीय बोर्ड के नेशनल प्रेसिडेंट हैं.लेकिन वे अपनी पार्टी से इन दिनों नाराज चल रहे हैं. जदयू के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाने से भी नहीं चुक रहे हैं. नीतीश कुमार से वे अपना हक की मांग रहे हैं.यही नहीं उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर यह भी आरोप लगा दिया कि नीतीश कुमार जदयू में कुशवाहा समाज को दरकिनार कर रहे हैं. इसके साथ ही वो अपने समाज के लोगों को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि उनके साथ ज्यादती हो रही है, यानी कुशवाहा समाज के साथ ज्यादती हो रही है.इधर, दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद जदयू में भी सियासी तापमान बढ़ा हुआ है. जदयू ने इस मुलाकात के बाद आरोप लगाया था कि बीजेपी उपेन्द्र कुशवाहा को आगे कर कुशवाहा वोटर को साधने की कोशिश कर रही है. क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी की राजनीति भी लव-कुश समीकरण पर ही आधारित मानी जाती है. इसी कारण जदयू में बेचैनी बढ़ी हुई है.
इन दिनों बीजेपी के फायर ब्रांड नेता सम्राट चौधरी भी चर्चा में हैं. हाल के दिनों में बीजेपी में उनका कद बढ़ा है.वह भी कुशवाहा समाज में एक बड़ा मैसेज देने की कोशिश में हैं.यही वजह है कि बीजेपी ने सम्राट अशोक का मामला हो या फिर सासाराम में अशोक के शिलालेख विवाद का पार्टी ने सम्राट चौधरी को ही आगे किया है.दरअसल,बीजेपी नीतीश कुमार के वोट बैंक लव- कुश पर सेंघमारी करने के उदेश्य से कुशवाहा समाजा से आने वाले सम्राट चौधरी को नीतीश कुमार का वोट बैंक में सेंघमारी करने के लिए लगाया है.ऐसा हुआ तो इसका नुक़सान नीतीश कुमार को हो जाएगा.यही वजह है कि बीजेपी के सम्राट चौधरी पर नीतीश कुमार कोई बयान नहीं देते हैं. कुछ ऐसा ही हाल नीतीश कुमार का उपेंद्र कुशवाहा को लेकर है, क्योंकि दोनों नेता में कुशवाहा वोटर को अपने पाले में करने की काबिलियत है.ऐसी चर्चा है कि उपेन्द्र कुशवाहा बीजेपी के साथ आ सकते है.अगर ऐसा हुआ तो कुशवाहा राजनीति में एक बड़ा बदलाव हो सकता है जिसे लेकर महागठबंधन चिंतित नजर आता है.
इधर,आरजेडी नब्बे और दस की बात कह बिहार की सियासत चर्चा में आए आलोक मेहता को उपेन्द्र कुशवाहा के काट के रुप में आगे कर रही है और कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश कर रही है.इसका इशारा भी तब मिला जब आलोक मेहता ने उपेन्द्र कुशवाहा पर जगदेव प्रसाद के जयंती समारोह के मौके निशाना साधा.