सुमित कुमार
बिहार की महिलाएं अब अबला नहीं दिखेंगी. उनकी इस पुरानी छवि को बिहार पुलिस में बीते 10 वर्षों के दौरान बहाल हुई 24 हजार से अधिक महिलाएं तोड़ती हुई नजर आ रही हैं. बिहार पुलिस मुख्यालय ने फिलहाल बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मियों को डायल 112, साइबर यूनिट और सोशल मीडिया सेंटर में बहाल कर रखा है,लेकिन अब उनको पारंपरिक रूप से पुरुषों का कार्य कहे जाने वाले विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा (बॉडीगार्ड), आतंक निरोधी दस्ता (एटीएस) और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) में भी तैनात किया जायेगा. इसे लेकर उनको विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है.
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक डायल 112, साइबर यूनिट और सोशल मीडिया सेंटर में कार्य करने हेतु महिलाओं को प्राथमिकता दी गयी है. 24 घंटे कार्यरत डायल 112 के राज्यस्तरीय कॉल सेंटर में 100% महिलाएं ही कार्यरत हैं. थानों में 20% अपर थानाध्यक्ष का कार्यभार महिलाओं को सौंपा गया है, ताकि वे भविष्य के थानाध्यक्ष नेतृत्व के लिए तैयार हो सकें. पटना के ट्रैफिक प्रबंधन में महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए 75% पुलिस निरीक्षक (इंस्पेक्टर) तथा 40% सिपाही के पदों पर महिलाओं का पदस्थापन किया गया है. साथ ही राज्य के प्रत्येक जिले में स्थापित 40 महिला थानों में महिला पदाधिकारियों को प्रभारी के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया ह
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राज्य पुलिस बल में महिलाओं की संख्या करीब एक चौथाई होने की वजह से उनके ड्यूटी और परिवार के बीच संतुलन बनाये रखने को लेकर भी मुख्यालय के स्तर से प्रयास हो रहा है. स्थानांतरण की नयी नीति बनायी जा रही है, जिसमें विभाग में कार्यरत पति-पत्नी को एक ही कार्यक्षेत्र में पदस्थापित करने का काम किया जायेगा. सभी नये थानों में नयी डिजाइन स्वीकृत महिलाओं के लिए बैरक, शौचालय, पालना घर आदि का निर्माण कराया गया है. मातृत्व अवकाश के साथ ही दो वर्षों के चाइल्ड केयर अवकाश का भी प्रावधान है.