18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bihar: काश मौत के बाद भी कोई ‘मां’ कहकर लिपट जाए… लावारिश विमला की खुली आंखों को रहा अपनों का इंतजार

भागलपुर के मायागंज अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला को किसी ने भर्ती कराकर लावारिश छोड़ दिया. महिला वियोग में ही तड़पती रही और आखिरकार अपनी सांस को त्याग दिया. मौत के बाद भी उसकी आंखें खुली ही थी.. मानों आज भी वो इंतजार में है...

Bhagalpur News : कहते हैं पूत सपूत तो क्या धन संचय और पूत कपूत तो क्या धन संचय… ऐसे ही कपूतों को जन्म देने वाली अभागिन विमला(बदला हुआ नाम) की कहानी बेहद दर्दनाक है. विमला अब इस दुनिया में नहीं हैं. उन्हें अब किसी का इंतजार नहीं. लेकिन इसकी आस उन्हें जरुर रही कि वो आज भले ही लावारिश हालत में अस्पताल में पड़ी हैं. पर एक दिन उसे लेने जरुर कोई अपना आएगा. अस्पताल में हर आने-जाने वाले से वो इसी उम्मीद में बात करतीं, कि शायद एक आवाज किसी की आए… मां, मैं लेने आया हूं. पर अफसोस विमला का यह इंतजार अधूरा रह गया. पर मौत के बाद भी आंखें मानो अपनों के इंतजार में ही खुली हो…

वृद्धा को भर्ती कराकर भाग गये अपने

प्रभात खबर ने जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (मायागंज) में परिजनों द्वारा लावारिस की तरह छोड़ दिये गये बुजुर्गों का मुद्दा उठाया था. इन बुजुर्गों को अब शांति कुटीर में शिफ्ट किया जा रहा था. विमला को भी मंगलवार को वहां भेजा जाना था लेकिन उसने इससे पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया. विमला को मायागंज अस्पताल में किसी ने भर्ती कराया और छोड़कर भाग गया. विमला अपने बारे में कुछ भी नहीं बता पाती थीं. पर हमेसा पूछती- मुझे लेने आए हो क्या…

मौत के बाद भी इंतजार…

विमला की बीमारी तो डॉक्टरों ने दूर कर दी लेकिन अंदर ही अंदर मानो वो इस पीड़ा से खोखली हो चुकी थी कि उसका यहां कोई नहीं. उसके अपनों ने ही लावारिश छोड़ दिया और फरार हो गये. वो शायद अंदर ही अंदर पूरी तरह टूट चुकी थी. विमला की सांस रूक गयी. लोग उन्हें अस्पताल में जानने लगे थे.

Also Read: ‘वापस जाकर मारो, मेरा पति मरा नहीं….’ शूटरों ने गोली मारी तो जान बचाने पत्नी को किया फोन, लेकिन…
काश कोई मां कहकर सीने से लिपट जाए…

सबकी जुबान पर एक ही बात थी. ये वियोग में ही तड़पती रही और आखिरकार इस दुनिया से चली गयी. लेकिन उसके बाद भी इनकी आंखें खुली है. ऐसा लग रहा है मानो आज भी इंतजार है इन्हें कि कोई आएगा अपना और मां कहकर सीने से लिपट जाएगा. जिंदा रहते तो नहीं हुआ, शायद मौत के बाद ही ऐसा हो तो भी आत्मा को शांति मिले…

जिन्हें अपनों ने ठुकराया उनका शव हजारों मेडिकल छात्रों का भविष्य संवारेगा

महिला से मिलने तीन माह के अंदर कोई नहीं आया था. मौत के बाद शव के दावेदार की तलाश शुरू की गयी. लेकिन लाख प्रयास के बाद भी कोई क्लेम करनेवाला देर शाम तक सामने नहीं आया. आखिरकार अस्पताल अधीक्षक डॉ दास ने शव को एनोटॉमी विभाग को सौंपने का निर्णय लिया. इसकी जानकारी विभाग के एचओडी को देते हुए शव भेज दिया गया. अस्पताल अधीक्षक डॉ असीम कुमार दास ने बताया शव पर क्लेम करनेवाला कोई नहीं था. इस वजह से शव को एनाटोमी विभाग को सौंप दिया गया है. इसका उपयोग मेडिकल छात्र पढाई के लिए करेंगे.

Published By: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें