पटना. लखीसराय के कजरा में बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी द्वारा स्थापित किये जा रहे सोलर पावर प्लांट पर 1810.34 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. इस प्लांट से न सिर्फ दिन में 185 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, बल्कि बैट्री ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीइएसएस) के माध्यम से देर शाम पीक आवर में भी 45.40 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी. ऊर्जा विभाग ने परियोजना लागत की 80 फीसदी राशि यानि 1448.27 करोड़ विभिन्न वित्तीय संस्थानों से ऋण स्वरूप लिये जाने तथा 20 प्रतिशत राशि 362.07 करोड़ रुपये राज्य सरकार से पूंजीगत निवेश के रूप में इक्विटी स्वरूप में प्राप्त किये जाने को मंजूरी दी है.
कंसल्टेंट कंपनी जर्मी ने तैयार की फिजिबिलिटी रिपोर्ट व डीपीआर
ऊर्जा विभाग के मुताबिक कजरा परियोजना से संबंधित फिजिबिलिटी रिपोर्ट और डीपीआर कंसल्टेंट कंपनी मेसर्स गुजरात एनर्जी रिसर्च एंड मैनेजमेंट इंस्टीच्युट (जर्मी) ने तैयार किया है. कंसल्टेंट कंपनी से वर्तमान बाजार परिदृश्य, स्टैंडर्ड प्रैक्टिस तथा परियोजना की संभाव्यता पर विचार-विमर्श करते हुए बिजली कंपनी ने 185 मेगावाट सौर बिजली उत्पादन का निर्णय लिया है. कंपनी ने सौर ऊर्जा संयंत्र की इपीसी लागत 1188.41 करोड़ रुपये जबकि बैट्री ऊर्जा भंडारण प्रणाली की इपीसी लागत 621.93 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया है. इसके अतिरिक्त उपयोग के आधार पर सामान्यत: 12 वर्षों की अवधि के पश्चात इन बैट्रियों को बदलने की अनुमानित लागत 435.35 करोड़ रुपये होगी.
प्रति किलोवाट 5.83 रुपये आयेगी औसत टैरिफ लागत
बिजली कंपनी ने सौर संयंत्र सह भंडारण प्रणाली के साथ कजरा सौर प्लांट से उत्पादित बिजली की औसत टैरिफ 5.83 रुपये प्रति किलोवाट (केडब्लूएच) पड़ने का अनुमान लगाया है. शुरुआती दिनों में यह लागत 5.19 रुपये प्रति केडब्लूएच हो सकती है. विभाग ने बताया है कि कजरा के लिए 1232 एकड़ भूमि अधिग्रहित है. आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार (आइडीए) द्वारा अधिग्रहित उक्त भूमि ऊर्जा विभाग को स्थानांतरित कर दी गयी है. बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड द्वारा उक्त भूमि के सीमांकन के उपरांत चाहरदीवारी के निर्माण की कार्रवाई की जा रही है. उक्त परियोजना न केवल पर्यावरण के अनुकूल होगा, बल्कि जल जीवन हरियाली अभियान का भी संवंर्द्धन करेगा. इसके अतिरिक्त राज्यों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की बाध्यता व भंडारण दायित्व को भी काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा.
जमुई और बांका में लगेगा सोलर पावर प्लांट
बिहार के जमुई में 125 मेगावाट और बांका में 75 सहित कुल 200 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट लगाये जाने को लेकर जमीन की बाधा लगभग दूर हो गयी है. योजना से जुड़ी सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) ने जमुई के लिए आवश्यक 500 एकड़ जमीन के विरुद्ध लक्ष्मीपुर अंचल में 231 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री पूरी करते हुए 75 मेगावाट सोलर पावर प्लांट के लिए निविदा जारी कर दी है. इसके साथ ही बांका में आवश्यक 300 एकड़ जमीन के विरुद्ध चकाई के गढ़ीतेलवा में 225 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. वन विभाग से उक्त भूमि का विवरण मांगा गया है.
बांका के तीन मौजा में जमीन की गयी चिह्नित
मिली जानकारी के मुताबिक बांका में 75 मेगावाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगाने को लेकर आधा दर्जन से अधिक जगहों मोठाबाड़ी, टोनापाथर, भैरोगंज, सनमुखिया मोड़, लेड़ाटांड, पहाड़पुर आदि पर उपयुक्त स्थल देखे गये. इस दौरान चकाई अंचल के तीन मौजा डिबिटार, आहरडीह और गढ़ीतेलवा मौजा में प्लेट बिछाने को जगह चिह्नित की गयी. वन विभाग ने डिबिटार और आहरडीह की भूमि संबंधित विवरणी उपलब्ध करा दी है, जबकि गढ़ीतेलवा की विवरणी मिलनी बाकी है. विवरणी मिलते ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.
जमुई में 300 एकड़ भूमि के लिए मिली अनुमति
अधिकारियों के मुताबिक जमुई प्लांट को लेकर 300 एकड़ भूमि से संबंधित विवरणी जून 2023 में डीएम जमुई और वन विभाग को सौंपी गयी, ताकि उसे राजस्व रिकॉर्ड का सत्यापन हो सके. अगस्त 2023 में इसकी स्वीकृति मिलने के बाद 231 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री पूरी कर ली गयी है, जबकि शेष आवश्यक जमीन की रजिस्ट्री को लेकर प्रक्रिया की जा रही है. अधिकारी ने बताया कि एजेंसी को रैयती भूमि की पहचान के लिए जमुई (न्यू) सब स्टेशन के पास राजस्व विभाग जबकि बांका (न्यू) सबस्टेशन के पास वन विभाग के सहयोग की जरूरत है. बिजली कंपनी ने 200 मेगावाट क्षमता की ग्रिड कनेक्टेड ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए जनवरी 2022 में एसजेवीएन को जिम्मेदारी दी थी.
अगले वर्ष जून तक 210 मेगावाट की हरित ऊर्जा
महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जैसे राजगीर, बोधगया व पटना के कुछ हिस्सों में 24 घंटे सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की आपूर्ति होगी. इसके तहत राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की एजेंसी सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया के साथ करार किया है. 210 मेगावाट हरित ऊर्जा की आपूर्ति होगी. दिलचस्प यह है कि इस करार के तहत दिन के साथ रात में भी बिजली की आपूर्ति होगी. पंप स्टोरेज प्लांट भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है. जून 2024 तक इस प्रोजेक्ट से बिजली मिलने लगेगी.