िमट्टी भराई कार्य अब भी
अधूरे हैं. ऐसी स्थिति में तत्काल बायपास का निर्माण होना संभव होता नहीं दिख रहा है. लखीसराय : वर्षों से जाम की समस्या शहर के लोगों के लिये अभिशाप बना हुआ है. एनएच 80 से समाहरणालय के पास तक बन रही बाइपास सड़क से जाम पर नियंत्रण लगने की उम्मीद पाले बैठे हैं लोग. अपने […]
अधूरे हैं. ऐसी स्थिति में तत्काल बायपास का निर्माण होना संभव होता नहीं दिख रहा है.
लखीसराय : वर्षों से जाम की समस्या शहर के लोगों के लिये अभिशाप बना हुआ है. एनएच 80 से समाहरणालय के पास तक बन रही बाइपास सड़क से जाम पर नियंत्रण लगने की उम्मीद पाले बैठे हैं लोग. अपने निश्चय यात्रा के दौरान 30 दिसंबर 2016 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जनप्रतिनिधियों एवं आम लोगों की मंशा भांपते हुए अगस्त तक इसका काम पूरा हो जाने बात कही थी. लेकिन आज के स्थिति में कहीं से भी बाइपास निर्माण कार्य पूरा होते नहीं दिख रहा है. पदाधिकारियों ने तो यह सच कबूलते हुए वर्ष 2018 में निर्माण कार्य पूर्ण होने की बात कह रहे हैं.
इधर स्थिति यह है कि पचना रोड से अशोक धाम जाना भी मुश्किल हो गया है. पुल निर्माण को लेकर बना डायवर्सन में कीचड़, तो दोनों रेलखंड के नीचे से पार करने के लिये बनी सुरंग में जलजमाव है. इधर आरओबी कार्य भी आधा-अधूरा है.
21 फरवरी 2006 में अशोकधाम के पास बाइपास निर्माण की रखी गयी थी नींव
छह करोड़ की योजना अब 122 करोड़ लागत तक पहुंची
छह करोड़ की यह योजना आरओबी निर्माण के साथ अब 122 करोड़ पर पहुंच चुकी है. अशोक धाम से थोड़ा हट कर एनएच 80 टॉल टैक्स गेट के पास से पचना रोड होते सीधे समाहरणालय के पीछे से लखीसराय-सिकंदरा पथ में इस बाइपास सड़क को एसपी आवास के समक्ष जोड़ना है. अशोक धाम रास्ते से अलग कर सीधे बायपास सड़क की लंबाई 6.6 किलोमीटर है. इसमें लगभग डेढ़ किमी की दूरी की बचत हुई है. इस बाइपास सड़क निर्माण को लेकर अभी तक जमीन अधिग्रहण का कार्य भी लंबित पड़ा हुआ है. पथ निर्माण विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 168 भू-स्वामी से जमीन अधिग्रहण किया जाना है. जिसमें 111 भू-धारकों से जमीन का हस्तांतरण भी कराया जा चुका है. 24 भू-स्वामियों का मामला न्यायालय में लंबित है. जबकि चार भूस्वामी 16 अगस्त को भुगतान प्राप्त कर जमीन हस्तांतरित करेंगे. जमीन अधिग्रहण को लेकर जिला प्रशासन जमीन के दर का निर्धारण के साथ साथ भूस्वामी के मालिकाना हक संबंधी कागजात के सत्यापन कराने की बात कहते हैं. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी राजेश कुमार के अनुसार 40 करोड़ रुपया भू अर्जन को लेकर प्राप्त है. जबकि कार्यपालक अभियंता पथ निर्माण विभाग राजेंद्र मांझी ने बताया कि 122 करोड़ की लागत से बनने वाली सड़क में आरओबी में 70-75 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.