हत्या मामले में दो को आजीवन कारावास

फैसला. पांच जुलाई 2014 को हलसी के प्रेमडीहा में कामेश्वर यादव की हुई थी हत्या जिला सत्र न्यायाधीश मदन किशोर कौशिक की कोर्ट ने गुरुवार को पांच जुलाई 2014 को हलसी थाना क्षेत्र के प्रेमडीहा गांव में हत्या के एक मामले में दो अभियुक्तों रंजीत कुमार विश्वकर्मा, धर्मवीर विश्वकर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2017 6:04 AM

फैसला. पांच जुलाई 2014 को हलसी के प्रेमडीहा में कामेश्वर यादव की हुई थी हत्या

जिला सत्र न्यायाधीश मदन किशोर कौशिक की कोर्ट ने गुरुवार को पांच जुलाई 2014 को हलसी थाना क्षेत्र के प्रेमडीहा गांव में हत्या के एक मामले में दो अभियुक्तों रंजीत कुमार विश्वकर्मा, धर्मवीर विश्वकर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है.
लखीसराय : गुरुवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में पांच जुलाई 2014 को प्रेमडीहा में कामेश्वर यादव की हत्याकांड की सुनवाई हुई. जिला सत्र न्यायाधीश मदन किशोर कौशिक की कोर्ट ने कामेश्वर यादव हत्याकांड का दोषी पाते हुए दो अभियुक्तों रंजीत कुमार विश्वकर्मा, व धर्मवीर विश्वकर्मा को हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही जिला जज ने दोनों
अभियुक्तों पर दस हजार का आर्थिक जुर्माना भी लगाया. इसके अलावे 27 आर्म्स एक्ट में एक साल की सजा तथा एक हजार रुपये का जुर्माना अलग से लगाया गया है. आर्थिक जुर्माना नहीं देने पर अभियुक्तों को एक माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी.
जुर्माना नहीं देने पर अभियुक्तों को एक माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी
घटना के समय कामेश्वर भतीजा के साथ कर रहे थे बातचीत
इस संबंध में जानकारी देते हुए लोक अभियोजक यदुनंदन प्रसाद ने बताया कि हलसी थाना कांड संख्या 80/14 सेशन ट्रायल नंबर 180/15 सूचक विजय यादव ने प्राथमिकी में कहा है कि दिनांक पांच जुलाई 2014 को सुबह सात बजे उनके पिता कामेश्वर यादव अपने भाई व भतीजा के साथ जनवितरण प्रणाली दुकान प्रेमडीहा में बातचीत कर रहे थे. उसी समय कामेश्वर यादव लघुशंका करने सड़क किनारे गये. उसी समय रंजीत कुमार विश्वकर्मा, धर्मवीर विश्वकर्मा एवं तीन अज्ञात लोगों ने मिल कर उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी. विचारण के बाद माननीय जिला सत्र न्यायाधीश मदन किशोर कौशिक ने दोनों अभियुक्तों रंजीत कुमार विश्वकर्मा व धर्मवीर विश्वकर्मा को हत्याकांड का दोषी पाते हुए भादवि की धारा 302 में आजीवन कारावास की सजा सुनायी तथा दस हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना किया गया. इसके अतिरिक्त 27 आर्म्स एक्ट में एक साल की सजा और एक हजार का आर्थिक जुर्माना. जुर्माना अदा नहीं करने पर एक माह की सजा होगी. कोर्ट में सजा सुनाये जाने से पूर्व सरकार की लोक अभियोजक यदुनंदन प्रसाद के साथ पीड़ित पक्ष की ओर जमुई से पूर्व अपर लोक अभियोजक अश्वनी कुमार यादव, धनश्याम यादव बहस कर रहे थे तथा बचाव पक्ष से वरीय अधिवक्ता रमेश कुमार व मो़ हसनात बहस में हिस्सा लिया.

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