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सर, बिना किताब के कैसे पढ़ेगी बिटिया

चिंताजनक . नहीं हुई पुस्तकों की छपाई बच्चों को 9 माह बाद भी नहीं मिली किताबें कहती हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी सुनयना कुमारी ने बताया कि विभाग में किताबें इस वर्ष नहीं छप सकी है. अब छपाई हो रही है. 15 सितंबर तक किताब जिला को उपलब्ध हो जाने की संभावना है. […]

चिंताजनक . नहीं हुई पुस्तकों की छपाई

बच्चों को 9 माह बाद भी नहीं मिली किताबें
कहती हैं जिला
शिक्षा पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुनयना कुमारी ने बताया कि विभाग में किताबें इस वर्ष नहीं छप सकी है. अब छपाई हो रही है. 15 सितंबर तक किताब जिला को उपलब्ध हो जाने की संभावना है. जिसके बाद बच्चों के बीच वितरण कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि विभागीय निर्देशानुसार ही एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने वाले बच्चों से पुरानी किताब लेकर दूसरे बच्चों के बीच वितरण किया गया है. बच् हुए बच्चों को छपायी के बाद किताबें उपलब्ध करादी जायेंगी.
जिले में 777 सरकारी प्रारंभिक स्कूल हैं. इनमें कक्षा एक से आठ तक शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं की कुल संख्या लगभग 2 लाख 20 हजार हैं. लेकिन, इन्हें शिक्षक पिछले 9 माह से बिना पुस्तक के ही शिक्षा दे रहे हैं.
लखीसराय : शिक्षा विभाग द्वारा देश के भविष्य नौनिहाल बच्चे को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के बजाय बिना पुस्तक के ही शिक्षकों से शिक्षा ग्रहण करवा रहे हैं. जिस कारण अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय के बजाय निजी स्कूलों में पढ़ाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. जिले में 777 सरकारी प्रारंभिक स्कूल हैं. इनमें कक्षा एक से आठ तक शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं की कुल संख्या लगभग 2 लाख 20 हजार हैं. जिसे शिक्षक पिछले 9 माह से बिना पुस्तक के ही शिक्षा दे रहे हैं. साथ ही इनका परीक्षा भी लिया जा रहा है.
कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को दी जाती हैं किताबें . शिक्षा विभाग पटना प्रत्येक वर्ष सभी जिलों में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त में सभी विषयों की पुस्तकें वितरित करती है. जिसे जिला शिक्षा पदाधिकारी की निगरानी में डीपीओ द्वारा सभी बीआरसी के माध्यम से सीआरसीसी को उपलब्ध कराया जाता है. सीआरसीसी इन पुस्तकों को विद्यालय वार वितरण कर बच्चों तक उपलब्ध कराती है.
चालू वर्ष में अभी तक नहीं छपी है पुस्तकें . चालू वर्ष में सर्व शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली पुस्तक को विभाग ने छपाई भी नहीं करा पायी है. जिससे इस जिले के लगभग 2 लाख 20 हजार बच्चे बिना किताब के ही अध्ययन करने पर मजबूर हैं. इस संबंध में डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान प्रेमरंजन व डीपीओ लेखा एवं योजना परशुराम सिंह ने बताया कि विभाग के आदेश पर वार्षिक परीक्षा में विद्यार्थियों से किताब वापस कर नामांकित एवं एक से दो में जाने वाले बच्चों से किताबें लेकर विद्यार्थियों के बीच वितरित किया गया है. जिसके माध्यम से शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
बोले अभिभावक . अभिभावक सातो यादव, उपेंद्र राम, श्री महतो, सोनू कुमार सहित अनेकों अभिभावकों ने बताया कि किसी बच्चे को किताब मिला, किसी को नहीं. किताब भी पुराने और खस्ताहाल में मिल पाया है. ऐसे में बच्चों के हाथों में फटे व खस्ताहाल पुस्तक कितने दिन टिक पायेगा. विभाग सिर्फ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का दावा करता है. जबकि हकीकत कुछ और ही है. आज हर अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना पसंद कर रहे हैं . क्योंकि निजी स्कूलों की एक नीति होती है, जबकि शिक्षा विभाग का कोई नीति ही नहीं है.

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