दिल में छेद से पीड़ित 11 बच्चों को जांच के लिए भेजा गया पटना

किसी दंपती को जब कोई संतान पैदा होता है, तब उनके खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 15, 2024 8:44 PM

लखीसराय. किसी दंपती को जब कोई संतान पैदा होता है, तब उनके खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है. पर जब उसी बच्चे के दिल में एक सुराख होने की खबर मां-बाप को मिलती है तो वही खुशी मायूसी में बदल जाती है. पर अब ऐसे मां-बाप को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जिस बच्चे के दिल में किसी तरह का कोई छेद है तो वैसे बच्चे का सरकार के द्वारा निःशुल्क इलाज किया जाता है. बस जरूरत है उन्हें अपने नजदीकी आरबीएसके टीम से संपर्क करने की, जिनके बारे में अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता से संपर्क करने की. इसी योजना के तहत जिले के कुल 11 बच्चों को जांच के लिए पटना के आइजीआइसी में भेजा गया. ये जानकारी डीईआइसी सह आरबीएसके के कॉर्डिनेटर अंशु सिन्हा ने दी. उन्होंने बताया कि सूर्यगढ़ा से चार, बड़हिया से एक, लखीसराय सदर से दो व हलसी से चार बच्चों को शनिवार के दिन इको एवं अन्य हृदय जांच के लिए पटना भजे गया है. जांच से लौटने के बाद जरूरी कागजी कार्रवाई को पूरा करने के उपरांत उन्हें सफल इलाज के लिए पटना भेजा जायेगा. जहां इन मासूम के दिल का ऑपरेशन किया जायेगा, जो पूरी तरह से निःशुल्क होगा.

अंशु बताती हैं कि इस ऑपरेशन के बाद जिस बच्चे के माता-पिता अपने ही बच्चे के दिल की धड़कन ठीक से सुन नहीं पा रहे थे अब वो सुन पायेंगे. अपने बच्चे को घर के आंगन में खेलते हुए देख पायेंगे. राष्टीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत बाल हृदय योजना के तहत इन बच्चों को ये सुविधा मिल रही है.

हृदय रोग के बच्चों का स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज जरूरी

सिविल सर्जन डॉ बीपी सिन्हा ने बताया कि हृदय रोग से ग्रसित बच्चों का स्थायी निजात के लिए समय पर इलाज शुरू होना जरूरी है, अन्यथा अन्य तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. डॉ सिन्हा ने बताया कि जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका तीन सप्ताह से तीन माह के अंदर, जिसके तालु में छेद है, उसका छह से 18 माह एवं जिसका पैर टेढ़े-मेढ़े हैं, उसका दो सप्ताह से दो माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है. इसलिए जो उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे हैं, उसके अभिभावक अपने बच्चों का आरबीएसके टीम के सहयोग से समय पर निःशुल्क इलाज करा सकते हैं. उन्होंने बताया कि जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है. हमेशा सर्दी-खांसी रहती है. चेहरे, हाथ, होंठ नीला पड़ने लगता है, जिसके कारण गंभीर होने पर बच्चों के दिल में छेद हो जाता है.

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