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लखीसराय : लाली पहाड़ी की खुदाई में मिले बौद्ध भिक्षुओं के सेल, गुप्तकाल की बर्तनें

लखीसराय : लाली पहाड़ी की खुदाई में मिलने लगे हैं बौद्ध सर्किट से जुड़े तथ्य. लाली पहाड़ी की खुदाई के दौरान बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए इस्तेमाल होनेवाले सेल मिलने के बाद इसके बौद्ध सर्किट से जुड़े होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है. विगत 13 दिसंबर से विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय […]

लखीसराय : लाली पहाड़ी की खुदाई में मिलने लगे हैं बौद्ध सर्किट से जुड़े तथ्य. लाली पहाड़ी की खुदाई के दौरान बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए इस्तेमाल होनेवाले सेल मिलने के बाद इसके बौद्ध सर्किट से जुड़े होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है. विगत 13 दिसंबर से विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीत इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार के निर्देशन में पांच शोधकर्ताओं द्वारा अपनी देख-रेख में खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया था. प्रथम दृष्टि में ही किसी स्ट्रक्चर देखने को मिला, लेकिन लगभग 13 दिन बाद शोधकर्ताओं ने जब खुदायी के दौरान बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए इस्तेमाल होनेवाले सेल को देखा, तो उनके चेहरे खुशी से खिल उठे़.

इस संबंध में खुदाई की देख कर रहे प्रो अनिल कुमार ने बताया कि मंगलवार को खुदाई के दौरान साढ़े आठ फीट गुणा साढ़े छह फीट तथा इससे मिलते जुलते विभिन्न आकार की चार सेल मिले हैं. उन्होंने बताया कि गर्भगृह से बाहर निकाल कर जहां भगवान को स्नानादि कराया जाता था, वह जगह मिला है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा गुप्त काल की अनेक वस्तुएं खुदाई के दौरान मिली हैं, जिनमें बर्तन, तांबे की अंगूठी, लोहे की कील आदि मिले हैं. उन्होंने बताया कि दिवालों की मोटाई साढ़े छह फीट से चार फीट तक मिली हैं. अवशेषों से यह प्रमाणित होता है कि यह गुप्त काल का अवशेष हो सकता है, जो नालंदा के बौद्ध विहार के समकालीन एवं विक्रमशिला से पुराना है.

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