नक्सलियों के गढ़ में प्रभात खबर, 5 लाख का इनामी नक्सली दे रहा हथियार चलाने का प्रशिक्षण, जानें नक्सली प्रवक्‍ता ने क्‍या कहा

पांच लाख का इनामी नक्सली दे रहा हथियार चलाने का प्रशिक्षण लखीसराय : कई शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी या फिर मौत से नक्सली संगठन कमजाेर हुआ है. इतना ही नहीं कोबरा, एसटीएफ, सीआरपीएफ बटालियन की नक्सलग्रस्त इलाकों में तैनाती ने नक्सलियों को बेचैन कर रखा है. बावजूद इसके जंगली इलाकों में उनकी चहलकदमी जारी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2018 6:00 AM
पांच लाख का इनामी नक्सली दे रहा हथियार चलाने का प्रशिक्षण
लखीसराय : कई शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी या फिर मौत से नक्सली संगठन कमजाेर हुआ है. इतना ही नहीं कोबरा, एसटीएफ, सीआरपीएफ बटालियन की नक्सलग्रस्त इलाकों में तैनाती ने नक्सलियों को बेचैन कर रखा है. बावजूद इसके जंगली इलाकों में उनकी चहलकदमी जारी है. कजरा थाना क्षेत्र के नक्सलग्रस्त जंगल में प्रभात खबर का प्रतिनिधि पहुंचा, तो वहां युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही थी.
यहां पर अविनाश दा भी मौजूद थे. वहां बताया गया कि परेश दा अखबारों के माध्यम से अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वे वहां से निकल चुके थे. कैंप में शामिल युवाओं को पुलिस के हमले से बचने और हमला करने की ट्रेनिंग दी जा रही थी. नक्सली आंखों पर पट्टी बांध कर ले गये थे. बातचीत के बाद प्रभात खबर प्रतिनिधि की आंखों पर पट्टी बांध कर वापस कजरा थाना क्षेत्र के आवासीय इलाके तक लाकर छोड़ दिया गया. कुछ भी पूछने की मनाही थी.
नक्सलियों के पूर्व प्रवक्ता व वर्तमान में बिहार-झारखंड के एरिया कमांडर अविनाश दा का एक संदेश प्रभात खबर को आया. इसमें प्रभात खबर के पत्रकार को कानीमोहन बुलाया गया. कानीमोहन में पहले से मौजूद नकाबपोश नक्सलियों ने पहले पत्रकार का मोबाइल बंद करवाया, फिर आंखों पर पट्टी बांध कर लगभग दो घंटे तक अपने साथ घुमाते रहे. थोड़ा थकने पर पेड़ की छांव में बैठा देते थे, लेकिन बधी पट्टी खोलने की इजाजत नहीं थी.
पहाड़ी इलाकों व जंगल का रास्ता तय करते हुए उन्हें एक ऐसी जगह लाकर आंखों से पट्टी हटायी गयी, जहां काफी संख्या में हथियारबंद नक्सली थे. उनके बीच लगभग 40 वर्षीय एक व्यक्ति बैठा हुआ था. साथ आये नक्सली ने बिहार-झारखंड के एरिया कमांडर अविनाश दा कह कर उनका परिचय कराया.
पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद चर्चा में आये अविनाश दा
29 अगस्त, 2010 को कवैया थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष भूलन यादव की कजरा के जंगल में मुठभेड़ के दौरान हत्या, उसी दौरान अगवा किये गये बीएमपी जवान लुकस टेटे की हत्या सहित सात पुलिस जवानों के शवों को कजरा के पहाड़ी इलाके में फेंक दिये जाने की घटना को लेकर अविनाश दा लगातार चर्चा में रहे थे. दर्जनों नक्सली वारदातों के आरोपित अविनाश दा पर सरकार ने पांच लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है.
नक्सली एरिया कमांडर से सवाल-जवाब
सवाल : आप लोगों पर आरोप है कि आप विकास नहीं होने देते.
जवाब : जहां विकास करना है, वहां तो विकास हो ही नहीं रहा है. वैसे, मान लीजिए आपको हम विकास नहीं करने दे रहे, तो जहां विकास करने की बात है, वहां भी तो नहीं हो रहा है.
सवाल : संविधान को आप नहीं मानते.
जवाब : सही है हम संविधान नहीं मानते, लेकिन जिन लोगों को संविधान मानना चाहिए वो लोग कहां मान रहे हैं. पुलिस हमेशा अत्याचार और पुलिसिया रोब दिखा रही है.
सवाल : चुनाव का विरोध क्यों.
जवाब : यह चुनाव तो दलाली है. अगर सही से चुनाव हो, तो हमलोग अगले दिन ही पावर में होंगे.
सवाल : आपके यहां भी तो गड़बड़ी हो रही.
जवाब : यह गलत बात है. पुलिस लोकल गुंडों का इस्तेमाल कर के हत्या और गुनाह कराती है और हमलोगों को बदनाम करती है. हम लोग अपने बीच गलत आदमी को नहीं रखते.
हमने पार्टी से सुरंग यादव, लालमोहन यादव व नरेश रविदास को निकाल दिया है. अगर अब भी ये पार्टी का नाम बदनाम करते हैं, तो इन्हें जनअदालत में सजा दी जायेगी.
मेरे परिवार के बच्चों को माओवादी का बच्चा बोल कर स्कूल से निकाल दिया जाता है
प्रभात खबर से बातचीत में अविनाश दा ने कहा कि उनके परिवार एवं बच्चों को माओवादी का बच्चा बोल कर स्कूल से निकाल दिया जाता है. अगर परिवार वाले के खाते में 10 हजार रुपये भी दिख गया, तो उसे लेवी का पैसा बता कर उस खाते को सील करा दिया जाता है. यही नहीं फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भेज दिया जाता है. घर तक तोड़वा दिया जाता है. जमीन सीज कर ली जाती है. छोटे-छोटे बच्चों को पुलिस पकड़ कर घंटों पूछताछ करती है. महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, मारपीट व छेड़छाड़ की जाती है.

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