रात भर में चार इंच बढ़ा जलस्तर, रसूलपुर में
बाढ़ का नहीं टला खतरा, तटबंध का कटाव जारी सूर्यगढ़ा : गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने के साथ इससे जुड़ी किऊल नदी के जलस्तर में भी लगातार वृद्धि हो रही है. नदी का पानी अपने तटबंधों से ऊपर उठकर निचले इलाके में फैल गया है और सुरक्षा तटबंध को छूने लगा है. समीप के […]
बाढ़ का नहीं टला खतरा, तटबंध का कटाव जारी
सूर्यगढ़ा : गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने के साथ इससे जुड़ी किऊल नदी के जलस्तर में भी लगातार वृद्धि हो रही है. नदी का पानी अपने तटबंधों से ऊपर उठकर निचले इलाके में फैल गया है और सुरक्षा तटबंध को छूने लगा है. समीप के दियारा क्षेत्र में खेतों में बाढ़ का पानी फैल गया है. ग्रामीण सड़क पर पानी आ जाने से कई गांवों का संपर्क भंग होने लगा है. शाम्हो निवासी योगेंद्र प्रसाद भगत ने बताया कि पिछले 24 घंटे में नदी के जलस्तर में तकरीबन लगभग चार इंच की बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि अगर नदी के जलस्तर में एक फीट की बढ़ोतरी हुई तो सूर्यगढ़ा-शाम्हो पथ पर शाम्हो प्रखंड कार्यालय के समीप सड़क पर पानी आ जायेगा. दियारा का पूरा इलाका जलमग्न हो चुका है तथा खेतों में लगी फसल बाढ़ की भेंट चढ़ चुका है. सूर्यगढ़ा-टोटहा पथ पर तीन से चार फीट पानी है
जिससे अकहा-कुरहा, टोटहा, सोपवर्षा आदि गांव के लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है. पानी के तेज बहाव के कारण दियारा के नया कुरहा और धनहा के बीच सड़क टूट चुका है. दियारा की 40 हजार आबादी बाढ़ से प्रभावित है. दियारा के हजारों एकड़ खेत में लगी सोयाबीन व मकई की फसल बाढ़ की भेट चढ़ चुका है. लोगों के मुताबिक जलस्तर में अब थोड़ी भी वृद्धि हुई तो दियारा का सड़क मार्ग से संपर्क से अवरुद्ध होने का खतरा है. लोगों ने बताया कि दियारा में सभी ओर पानी ही पानी है. सूर्यगढ़ा-टोटहा पथ पर तीन से चार फीट पानी है जिसके कारण अकहा-कुरहा, टोटहा, सोनवर्षा आदि जगहों के लोगों की परेशानी बढ़ गया है.
बाढ़ के पानी के कारण कुरहा और घनहा के बीच सड़क टूट गया है. दियारा में बाढ़ के कारण पशुपालकों के समक्ष पशुचारा की समस्या हो रही है. इधर,मेदनीचैकी क्षेत्र के ताजपुर पंचायत अंतर्गत रसुलपुर गांव में बाढ़ का खतरा अभी नहीं टला है. मंगलवार को भी गंगा नदी का जलस्तर में तीन से चार इंच की वृद्धि हुई है. पानी के तेज बहाव के कारण मिट्टी का बना सुरक्षा तटबंध में निरंतर कटाव जारी है. पानी के सलाव के कारण तटबंध में धीरे-धीरे दरार पड़ रहा है, और कटाव बदस्तूर जारी है. पूर्व मुखिया पति कैलाश पोद्दार ने बताया कि सुरक्षा तटबंध की मरम्मति के लिए प्रशासन के तरफ से कोई पहल नहीं हो रहा है. ग्रामीणों के मुताबिक जहां से बाढ़ का पानी गांव में घुसता है वहां भी तत्काल मिट्टी की जरूरत है. लोगों का कहना है पदाधिकारी या अभियंता आते हैं और घुम कर चले जाते हैं लेकिन बाढ़ के खतरे को देखते हुए भी बचाव का कोई कदम नहीं उठाया गया.