– 4 अगस्त 2017 को एक ही परिवार के तीन सदस्यों की गोली मारकर कर दी गयी थी हत्या
– हत्याकांड में दस लोगों को नामजद करते हुए दर्ज की गयी थी प्राथमिकी
– प्राथमिकी के सूचक की भी बाद में कर दी गयी थी हत्या
– परिजनों को चार-चार लाख मुआवजा देने का न्यायालय ने दिया आदेश
लखीसराय : बिहार के लखीसराय में सूर्यगढ़ा पुलिस अंचल के कजरा थाना क्षेत्र के बहुचर्चित पोखरामा तिहरे हत्याकांड के नामजद नौ अभियुक्तों में से सात के विरुद्ध विचारण के उपरांत छह को आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया गया. साथ ही शालिग्राम सिंह उर्फ खपरू सिंह को छोड़ सभी को 2.20 लाख रुपये का अर्थदंड भी आजीवन कारावास के साथ शामिल है. अर्थदंड की राशि नहीं भुगतान करने पर दो-दो वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. सात में से एक शालिग्राम सिंह उर्फ खपरु सिंह के पुत्र सुरों सिंह उर्फ सूरज सिंह को साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने पहले ही दोष मुक्त कर दिया था. शेष दो अभियुक्तों की बाद में गिरफ्तारी होने के कारण अलग से उक्त न्यायालय में सुनवाई जारी है.
उक्त आशय की जानकारी देते हुए लोक अभियोजक यदुनंदन प्रसाद ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय रंजीत कुमार सिंह के न्यायालय में कजरा थाना कांड संख्या 50/17 से संबंधित सत्रवाद संख्या 203/17 में उक्त सजा सुनायी गयी है. पोखरामा हत्याकांड के ऐतिहासिक फैसले में मृतकों के परीजनों को चार-चार लाख रुपये राज्य सरकार द्वारा मुआवजा दिये जाने का आदेश दिया गया है.
पोखरामा तिहरे हत्याकांड से संबंधित जानकारी देते हुए लोक अभियोजक यदुनंदन प्रसाद महतो ने बताया कि स्व यदुनंदन सिंह के पुत्र रामशेखर सिंह, पुत्र झालो सिंह एवं फुलेंद्र सिंह के पुत्र इंद्रसेन कुमार उर्फ रिपु की एक भूमि विवाद को लेकर दिनांक 4 अगस्त 17 को सुबह 8-9 बजे की बीच कर दी गयी थी. तिहरे हत्याकांड को लेकर सूचक पोखरामा निवासी स्व कैलाश सिंह के पुत्र पवन सिंह के बयान पर स्व द्वारिका सिंह के पुत्र शालिग्राम सिंह उर्फ खपरु सिंह, खपरू सिंह के पुत्र सुरो सिंह उर्फ सूरज सिंह, दिलीप कुमार, गुड्डू कुमार, सातो सिंह के पुत्र किरण सिंह, किरण सिंह के पुत्र सूरज कुमार, अंगद कुमार, जनार्दन सिंह उर्फ जाटो सिंह के पुत्र कृष्ण कुमार, रोहित कुमार, रमैया कुमार सहित दस लोगों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए कजरा थाना कांड संख्या 50/17 अंकित कराया गया था.
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अरविंद ठाकुर के आदेश से तत्कालीन सूर्यगढ़ा पुलिस अंचल निरीक्षक राम निवास प्रसाद को कांड का अनुसंधान कर्ता बनाया गया था. तिहरे हत्याकांड की गूंज पटना के पुलिस मुख्यालय तक सुनाई देने लगी थी. कई नेताओं मंत्री तक का कांड को लेकर पोखरामा आगमन हुआ था. गिरफ्तारी में कोताही बरते जाने को लेकर थानेदार की बदली तक हो गयी थी. आशुतोष कुमार को कजरा थानाध्यक्ष के रूप में पदस्थापित कर सभी नामजद को जेल के सलाखों के पीछे भेजना संभव हो पाया. बाद में सूचक पवन सिंह की भी लखीसराय कार्यानंद स्थित आवास के समीप कर दी गयी.
उक्त घटना से संबंधित सत्रवाद संख्या 203/17 में विचारण के उपरांत खपरू सिंह के पुत्र सुरो सिंह उर्फ सूरज सिंह, दिलीप कुमार व गुड्डू कुमार, किरण सिंह के नाबालिग पुत्र सूरज कुमार को छोड़ शेष छह नामजद अभियुक्तों को दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास का सजा मुकर्रर किया गया. सजावार लोगों में शालिग्राम सिंह को धारा 120(बी) में सिर्फ दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व 50 हजार अर्थ दंड का फैसला सुनाया गया. अर्थदंड नहीं भुगतान करने पर दो साल की अतिरिक्त कारावास की सजा की बात आदेश में कही गयी है.
किरण सिंह, अंगद कुमार, कृष्ण कुमार, रोहित कुमार, रमैया कुमार सहित पांच आरोपी को धारा 302/149 में आजीवन कारावास के साथ-साथ एक लाख का अर्थ दंड, धारा 148 में तीन साल 10 हजार का अर्थ दंड, धारा 307 में दस साल 50 हजार का अर्थ दंड, 27 आर्म्स एक्ट में तीन साल 10 हजार अर्थदंड का फैसला सुनाया गया. विचारण के दौरान बचाव पक्ष से वरीय अधिवक्ता सुरेश प्रसाद सिंह उर्फ शशि बाबू, रमेश प्रसाद सिंह, डॉ श्रीनिवास सिंह, धनंजय कुमार, जयशंकर मोदी वहीं अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक गुप्तेश्वर सिंह बहस में हिस्सा लिया.