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अलीगढ़ में मासूम की वीभत्स तरीके से हुई हत्या से महिला अधिकारी आहत

लखरीसराय : लखीसराय जिला ग्रामीण विकास अभिकरण में पदस्थापित सहायक परियोजना पदाधिकारी रेणु गुप्ता ने अलीगढ़ में मासूम की वीभत्स तरीके से हत्या व विभिन्न जगहों पर मासूम व महिलाओं के साथ हो रही घटना से काफी आहत हैं. सहायक परियोजना पदाधिकारी ने एक पत्र के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त की है. रेणु गुप्ता […]

लखरीसराय : लखीसराय जिला ग्रामीण विकास अभिकरण में पदस्थापित सहायक परियोजना पदाधिकारी रेणु गुप्ता ने अलीगढ़ में मासूम की वीभत्स तरीके से हत्या व विभिन्न जगहों पर मासूम व महिलाओं के साथ हो रही घटना से काफी आहत हैं. सहायक परियोजना पदाधिकारी ने एक पत्र के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त की है. रेणु गुप्ता ने कहा है कि यत्र नायस्ति पूज्यते रमंते तत्र देवता… आज के बदले परिवेश में क्या इस वेद वाक्य की अस्मिता है.

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ किसके लिए? कोख में हो जन्म का खतरा. पैदा हुए तो भरण-पोषण में दोयम दर्जा. किशोरा अवस्था में बढ़ते कदम में बलात्कार का खतरा और बलात्कार से बचे गयी जिंदा तो एसिड अटैक से खतरा. हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, लैंगिक असमानत-क्यों बेटियों को इतना बेवस बना दिया. काश ये कह बड़े नेताओं और पूंजीपतियों पर पड़ता तो दर्द का एहसास उन्हें होता. लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार कहां जाये.
बांझ-क्या जाने प्रसव की पीड़ा?
काश उपर में जो न्याय करने वाले हैं उन्हें इस पीड़ा से गुजराना पड़े तो बेवस बेटियों की त्रास्दी को अपने दर्द से आत्मसात करते. जिन दरिदों‍ ने मासूम बच्चियों को नोचा, भूखे मर गयी तो पत्थर से कुचलकर उसके चेहरे को वीभत्स कर दिया. आग में जला दिया, इससे बच गयी तो एसिड की दरिया में बहाकर उसकी जिंदगी को जीवन भर के लिए जहन्नुम बना दिया. रेणु गुप्ता ने सवाल किया कि हम क्यों बेटियों को जन्म दें जो प्रत्येक पल मरते रहें. बेटी की प्रत्याशा में चिड़ियों की तरह खिड़कियों से झांकते रहे कि बेटियां महफूज घर लौट आये.
सड़क सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े होडिंग और स्लोगन लिखे जाते हैं. देर भली, तेज गति जीवन क्षति या सुरक्षति चलें घर में बिटियां-पत्नी प्रतीक्षारत है. ऐसे पोस्टर या स्लोगन ऐसे जन्मदाताओं के लिए नहीं लगने चाहिए.तुमने जिस गिद्ध और भेड़िये की तरह मांस का लोथड़ा बना दिया -उसमें तुम्हारी मां, बहन या बेटी भी हो सकती है. ईश्वर देख रहा है तुमसे से अच्छी न्याय प्रणाली हमारी भक्तिकाल में था.

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