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जिले में कुल 2171 फाइलेरिया के मरीज हुए चिह्नित

जिले में कुल 2171 फाइलेरिया के मरीज हुए चिह्नित

चिह्नित मरीजों का आवश्यकतानुसार किया जायेगा इलाज

फाइलेरिया में लिम्फोडेमा (हाथी पांव ) होता है लाइलाज : सिविल-सर्जन

लखीसराय फाइलेरिया बीमारी जानलेवा नहीं पर लाइलाज है, उक्त बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की जिंदगी चुनौतीपूर्ण हो जाती है. इतना ही नहीं इस बीमारी का नाम सुनते ही मन में एक अजीब सा चित्र उभरता है, पर ये बीमारी सिर्फ इसी रूप में हो ये जरूरी नहीं , फाइलेरिया बीमारी के और भी रूप होते हैं. मसलन ये पुरुष के अंडकोष एवं महिलाओं के स्तन में भी हो जाता है, जिसको लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर एवं सतर्क है. इस गंभीर एवं लाइलाज बीमारी से लोगों को राहत दिया जा सके. इसी क्रम में विभाग ने जिले के कुल फाइलेरिया मरीजों को चिह्नित किया. जिनका इलाज उसके आवश्यकतानुसार किया जायेगा, उक्त बातें सिविल -सर्जन डॉ बीपी सिन्हा ने कही.

उन्होंने बताया की जिले में पुरुष अंडकोष में फाइलेरिया से ग्रसित 389 मरीज, लिम्फोडेमा (हाथी पांव ) से ग्रसित 1457 एवं अन्य जिनमें महिलाओं के स्तन में ग्रसित मरीज शामिल है, वैसे 325 मरीजों को चिह्नित किया गया है. इन सभी मरीजों का जल्द से जल्द ही समुचित इलाज शुरू किया जायेगा. इसके लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के केटीएस को निर्देश दिया गया है की अपने क्षेत्र के चिह्नित फाइलेरिया मरीजों से संपर्क कर जांच कर उनका उपचार करें.

लिम्फोडेमा (हाथीपांव ) होता है लाइलाज

डॉ सिन्हा कहते हैं फाइलेरिया बीमारी एक गंभीर बीमारी है, इसमें जो हाथी पांव से ग्रसित हो जाते हैं. उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है, क्योंकि हाथी पांव कभी न ठीक होने वाली बीमारी बनकर रह जाती है. अगर समय पर इन मरीजों को सही मार्गदर्शन मिले तो उनका हाथी पांव जिस रूप में होता है, उससे आगे नहीं बढेगा, पर इसके लिए भी समय पर दवा सेवन के साथ साफ-सफाई एवं एक्सरसाइज करना जरूरी होता है. अगर बेपरवाह हो जाएंगे तो ये बीमारी बस बढ़ती ही जाती है, जिसका परिणाम बहुत ही कष्टदायक हो जाता है. इसलिए जरूरी है की इस बीमारी से सतर्क रहें एवं दवा का सेवन जरूर करें.

क्यों होता है फाइलेरिया बीमारी

वेक्टर जनित रोग सलाहकार नरेंद्र कुमार बताते हैं की फाइलेरिया बीमारी मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है जो साफ जमा हुआ पानी में पनपता है. इस बीमारी से बचने के लिए घर के आसपास पानी को जमा न होने दें. सोते समय मच्छरदानी का हमेशा प्रयोग करें. अगर घर में कूलर का उपयोग करते हैं तो उसका पानी प्रतिदिन बदलें. साथ ही फुल बांह के कपड़े का इस्तेमाल करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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