जिले में कुल 2171 फाइलेरिया के मरीज हुए चिह्नित
जिले में कुल 2171 फाइलेरिया के मरीज हुए चिह्नित
चिह्नित मरीजों का आवश्यकतानुसार किया जायेगा इलाज
फाइलेरिया में लिम्फोडेमा (हाथी पांव ) होता है लाइलाज : सिविल-सर्जनलिम्फोडेमा (हाथीपांव ) होता है लाइलाज
डॉ सिन्हा कहते हैं फाइलेरिया बीमारी एक गंभीर बीमारी है, इसमें जो हाथी पांव से ग्रसित हो जाते हैं. उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है, क्योंकि हाथी पांव कभी न ठीक होने वाली बीमारी बनकर रह जाती है. अगर समय पर इन मरीजों को सही मार्गदर्शन मिले तो उनका हाथी पांव जिस रूप में होता है, उससे आगे नहीं बढेगा, पर इसके लिए भी समय पर दवा सेवन के साथ साफ-सफाई एवं एक्सरसाइज करना जरूरी होता है. अगर बेपरवाह हो जाएंगे तो ये बीमारी बस बढ़ती ही जाती है, जिसका परिणाम बहुत ही कष्टदायक हो जाता है. इसलिए जरूरी है की इस बीमारी से सतर्क रहें एवं दवा का सेवन जरूर करें. क्यों होता है फाइलेरिया बीमारी वेक्टर जनित रोग सलाहकार नरेंद्र कुमार बताते हैं की फाइलेरिया बीमारी मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है जो साफ जमा हुआ पानी में पनपता है. इस बीमारी से बचने के लिए घर के आसपास पानी को जमा न होने दें. सोते समय मच्छरदानी का हमेशा प्रयोग करें. अगर घर में कूलर का उपयोग करते हैं तो उसका पानी प्रतिदिन बदलें. साथ ही फुल बांह के कपड़े का इस्तेमाल करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है