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कुहासे के साथ एक बार फिर ठंड रिटर्न
कनकनी बढ़ते ही परेशानी बढ़ी लखीसराय : गुरुवार को एक बार फिर कुहासे का प्रकोप बना रहा. देर सुबह तक पूरा इलाका धुंध की सफेद चादर ओढ़े रहा. सड़कों पर वाहनों को आवागमन में परेशानी हुई. हालांकि दिन चढ़ने के बाद कुहासा छंटने से थोड़ी परेशानी कम हुई. लेकिन पूरे दिन खिली धूप नहीं दिखी […]
कनकनी बढ़ते ही परेशानी बढ़ी
लखीसराय : गुरुवार को एक बार फिर कुहासे का प्रकोप बना रहा. देर सुबह तक पूरा इलाका धुंध की सफेद चादर ओढ़े रहा. सड़कों पर वाहनों को आवागमन में परेशानी हुई. हालांकि दिन चढ़ने के बाद कुहासा छंटने से थोड़ी परेशानी कम हुई.
लेकिन पूरे दिन खिली धूप नहीं दिखी और कनकनी बनी रही. पिछले चार-पांच दिनों के राहत के बाद ठंड ने एक बार फिर अपनी वापसी का संकेत दिया.
कई जगहों पर नहीं जलाया गया अलाव
जिला प्रशासन के निर्देश के बावजूद सूर्यगढ़ा सहित लगभग सभी कस्बाई हाट-बाजारों में भयानक शीतलहर में भी अलाव नहीं जलाया गया. सर्द भरी रात में गरीब ठंड से कांपते रहे लेकिन उन्हें सरकारी अलाव की गरमी नसीब नहीं हो पायी. प्रखंड कार्यालय सूर्यगढ़ा में 10 दिन पूर्व प्रखंड क्रियान्वयन समिति की बैठक में अंचलाधिकारी सुभाष प्रसाद ने सदस्य अशोक मंडल के प्रश्न का जवाब देते हुए अलाव के लिए 12 हजार रुपये की राशि जिला से उपलब्ध होने की जानकारी दी थी.
लेकिन अलाव कब और कहां जला इसका जवाब स्थानीय पदाधिकारी के पास नहीं है. अमूमन सभी प्रखंड मुख्यालयों की यही स्थिति है. जिला मुख्यालय में भी गरीब काटरून एवं अन्य बेकार चीजों को जला कर ठंड से बचते नजर आये.
ट्रेनों का परिचालन रहा बाधित
कुहासे की वजह से गुरुवार को किऊल से होकर गुजरने वाली कई ट्रेन 10 घंटे से अधिक विलंब से चली. धुंध की वजह से सड़क एवं ट्रेन यातायात प्रभावित रहने की वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. ट्रेन के अपने निर्धारित समय से विलंब से चलने की वजह से रेल यात्रियों को काफी परेशानी हुई. उन्हें स्टेशनों पर इंतजार करने को मजबूर होना पड़ा.
गरीबों को मिल रही कंबल की गरमाहट
ठंड जब ढालन की स्थिति में है तो सामाजिक कार्यकर्ता, स्वयंसेवी संस्था आदि द्वारा कंबल के वितरण में तेजी आयी है. यश लोक सेवा संगठन सूर्यगढ़ा के अध्यक्ष समाजसेवी शैलेंद्र सिंह द्वारा पिछले सप्ताह कजरा, मेदनीचौकी, सूर्यगढ़ा, चानन आदि जगहों पर हजारों गरीबों के बीच कंबल का वितरण किया गया. अगर यही कार्य ठंड के शुरुआती दौर में ही होता, तो कई गरीब शीतलहर से होने वाली परेशानी से काफी हद तक बचे रहते.
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