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वार्षिक शतचंडी यज्ञ का शुभारंभ

वार्षिक शतचंडी यज्ञ का शुभारंभ प्रतिनिधि, लखीसरायकृषि में उन्नति, सुख-शांति व समृद्धि के लिए पांच दिवसीय वार्षिक शतचंडी यज्ञ का शुभारंभ बड़हिया स्थित मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर शक्तिपीठ के यज्ञ शाला में प्रारंभ हुई. मंदिर में आचार्य जोगेंद्र झा की देखरेख में एक जापक, 10 सप्तशती पाठक व एक जजमान के द्वारा मंदिर में […]

वार्षिक शतचंडी यज्ञ का शुभारंभ प्रतिनिधि, लखीसरायकृषि में उन्नति, सुख-शांति व समृद्धि के लिए पांच दिवसीय वार्षिक शतचंडी यज्ञ का शुभारंभ बड़हिया स्थित मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर शक्तिपीठ के यज्ञ शाला में प्रारंभ हुई. मंदिर में आचार्य जोगेंद्र झा की देखरेख में एक जापक, 10 सप्तशती पाठक व एक जजमान के द्वारा मंदिर में पूजा अर्चना की शुरुआत की गयी जिससे मंदिर परिसर में भक्ति का माहौल बना हुआ है. प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी शक्तिपीठ में शतचंडी यज्ञ को लेकर पंडितों के मंत्रोच्चारण से बड़हिया गूंजायमान हो उठा. मां दुर्गा की पूजा समाप्ति के उपरांत मंदिर में पांच दिनों की इस यज्ञ में भीड़ उमड़ रही है. इसके अलावे काली मंदिर बडहिया, पाली पंचायत में परमेश्वरी स्थान में भी यज्ञ किया जा रहा है, ताकि क्षेत्र का कृषि कर्म की उन्नति व बड़हिया नगर की समृद्धि हो सके. इसमें बाल्मिकी जी, निय झा, दिलीप झा, कृष्ण मुरारी झा, संजय झा, जजमान रामप्रवेश कुमार हैं. दाल का कटोरा से भी दाल गायब, सभी दाल मील बंदप्रतिनिधि, लखीसरायजहां दाल के भाव में अत्यधिक वृद्धि के कारण गरीब की थाली से दाल गायब हो रहा है. वहीं दाल का कटोरा कहे जानेवाले बड़हिया टाल बारिश के अभाव में रब्बी की बुआई प्रभावित हो रहा है. किसान इसके लिए चिंता में डूबे हुए हैं. जबकि सरकार व नेताओं को इसके प्रति चिंता न होकर कृषि की बजाय कुरसी की चिंता कर रहे हैं. इससे स्थानीय किसानों में सरकार व जन प्रतिनिधियों के खिलाफ गहरा आक्रोश व्याप्त है. जिले के बड़हिया टाल 1270 हेक्टेयर में फैली हुई है. इसमें किसानों द्वारा एक मात्र रब्बी फसल चना, मसूर, खेसारी, केराव आदि का उत्पादन कर अपने साल भर में जीवन निर्वहन का इंतजाम करते हैं. लेकिन इस वर्ष बरसात के दिनों में हरूहर व गंगा से टाल क्षेत्र नहीं डूबने, बारिश नहीं होने के अलावे पछिया हवा चलने से खेतों की नमी बिल्कुल समाप्त हो गयी है. जिसके परिणाम स्वरूप किसानों की रब्बी फसलों की बुआई प्रभावित हो रही है. हालांकि टाल के एक चौथाई हिस्सा में किसान रबी की बुआई कर रहे हैं. इसी टाल झेत्र से रब्बी फसल का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता था जिसके परिणाम स्वरूप मसूर, चना, खेसारी का दाल यूपी, बंगाल, मध्य प्रदेश व बिहार के अन्य जिलों में ट्रक के माध्यम से जाता था. साथ ही बड़हिया में आठ दाल मील भी चलता था जिसमें हजारों मजदूरों को रोजी रोटी उपलब्ध होती थी. परंतु सरकार की उपेक्षा के कारण टाल क्षेत्र में लागत पूंजी से कम पैदावार होने से किसान की स्थिति प्रत्येक वर्ष गिरती गयी व स्थानीय दाल मील बंद हो गया. जब दाल की कीमत आसमान छूने लगी है फिर भी सरकार व जनप्रतिनिधि दाल का कटोरा कहे जाने वाले बड़हिया टाल के प्रति संवेदनशील नहीं दिख रही है. जागरूक किसान दशरथ सिंह ने बताया कि पंजाब राज्य की तरह बिहार में कैरो जैसा नेता पैदा नहीं हुआ जो टाल की समस्या का निदान कर सके. किसान राम शंकर सिंह ने बताया कि राज्य सरकार व केन्द्र सरकार टाल क्षेत्र में एक बड़ी योजना से सर्वप्रथम बहिया टाल के दो फसलीकरण कर दे तो अन्य राज्य की तरह बिहार भी दाल निर्यात करनेवाला राज्य बन सकता है. जबकि किसान अरुण कुमार ने बताया कि जब तक बड़हिया टाल की समस्या का निदान नहीं किया जाता किसान की स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी व दाल की कीमत बढ़ती ही जायेगी. बैठक संपन्नलखीसराय. शनिवार को एनएसओएसवाइएफ के बैनर तले जिलाध्यक्ष आर कुमार की अध्यक्षता में दलितों के उत्थान व उस पर हो रहे जुर्म पर विचार-विमर्श को लेकर बैठक आयोजित की गयी. बैठक मेें सुरेश कुमार, अंकित कुमार, राजीव रंजन, कुंदन कुमार, मनीष कुमार, भीम कुमार, रवि चौधरी आदि उपस्थित थे.

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