आदिवासी समाज की महिला विकास से वंचित

आदिवासी समाज की महिला विकास से वंचित चंद्रमंडीह . चकाई प्रखंड के जंगलों और पहाड़ी भागों में बसे अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को देख कर ऐसा लगता है कि सचमुच में वे विकास से कोंसों दूर है़ उनका आर्थिक स्थिति आज भी दयनीय है. जबकि इनका सामाजिक स्तर कहीं बेहतर है. उन्हें अपने जीवन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2015 6:43 PM

आदिवासी समाज की महिला विकास से वंचित चंद्रमंडीह . चकाई प्रखंड के जंगलों और पहाड़ी भागों में बसे अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को देख कर ऐसा लगता है कि सचमुच में वे विकास से कोंसों दूर है़ उनका आर्थिक स्थिति आज भी दयनीय है. जबकि इनका सामाजिक स्तर कहीं बेहतर है. उन्हें अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने में सामान्य महिलाओं के मुकाबले अधिक आजादी प्राप्त है़ दहेज जैसे कुप्रथा से वे मुक्त है़ घर में दासी की तरह नहीं बल्कि गृहस्थी की संचालिका की है. परिवार में महिलाओं को पूरी तरजीह दी जाती है़ ये अपने घरों में खाना पकाने, सफाई, चौका आदि सामान्य घरेलू काम संभालने के साथ-साथ पानी भरने, मवेशी पालने, जंगलों में लकड़ी चुनने व दातुन काटने तथा पत्ता जमा करने व पत्तल बनाने व बेचने का काम करती है़ मवेशियों के चारा, ईंधन, फल-फूल, कंद आदि के लिए जंगलों में जाती है़ प्रखंड क्षेत्र में वन माफियाओं द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई होने से आदिवासी महिलाएं अधिक निर्धन होती जा रही है़ अशिक्षित होने के कारण वे अपने अधिकार को समझ नहीं पाती हैं. जिससे वे लाभकारी योजनाओं से वंचित रह जाती है़ उनका दूरगामी परिणाम उनके बच्चों पर पड़ता है़ प्रखंड के ठाढ़ी, बामदह, रामसिंहडीह, चौफला, पौझा, बोंगी, बरमोरिया आदि पंचायतों में आदिवासियों की बड़ी आबादी बसी हुई है़ कुछ लोग सुअर, गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी पालन भी किया करते हैं़ इस दौरान उन्हें कई कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है़ लेकिन पेट की आग बुझाने के लिए उन्हें इस तरह का शोषण भी सहना पड़ता है़ जंगलों के कंद्राओं में बसे होने के कारण आये दिन इनको कभी नक्सली तो कभी अपराधियों की कठपुतली बनना पड़ता है़ उनके लिए विकास आज भी कोई मायने नहीं रखता है़ इस बाबत प्रखंड विकास पदाधिकारी राजीव रंजन से पुछे जाने पर बताया कि सरकार की ओर से महिलाओं में जागृति लाने के लिए संघ से संस्था द्वारा कई तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे है़ बैंक द्वारा भी महिलाओं को समूह ऋण दिया जा रहा जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं. इसके अलावे पंचायती राज द्वारा भी कई योजनाएं चलाई जा रही है़

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