जिंदगी का सबसे कड़वा जहर पीकर लिखी गयी मधुशाला
जिंदगी का सबसे कड़वा जहर पीकर लिखी गयी मधुशाला फोटो-18चित्र परिचय:जयंती में शामिल शिक्षक एवं छात्रमेदनीचौकी. डॉ हरिवंश राय बच्चन की 108 वीं जयंती प्लस टू हाइस्कूल अमरपुर में समारोहपूर्वक मनायी गयी. मौके पर प्रधानाचार्य कृष्णदेव सिंह ने कहा कि जीवन के प्रति गहरा विश्वास बच्चन के व्यक्तित्व व कृतित्व का मूल मंत्र रहा. हिन्दी […]
जिंदगी का सबसे कड़वा जहर पीकर लिखी गयी मधुशाला फोटो-18चित्र परिचय:जयंती में शामिल शिक्षक एवं छात्रमेदनीचौकी. डॉ हरिवंश राय बच्चन की 108 वीं जयंती प्लस टू हाइस्कूल अमरपुर में समारोहपूर्वक मनायी गयी. मौके पर प्रधानाचार्य कृष्णदेव सिंह ने कहा कि जीवन के प्रति गहरा विश्वास बच्चन के व्यक्तित्व व कृतित्व का मूल मंत्र रहा. हिन्दी प्राध्यापक धनंजय कुमार ने बच्चन जी को यौवन के ज्वार का कवि कहा. उन्होंने कहा कि बच्चन जी न तो हाला के कवि हैं व न ही प्याला के. वे एकमात्र मनुष्य के कवि हैं. उसी मनुष्य के जो प्यार भी करता है व नफरत भी, जो हंसता भी है व रोता भी, जो जीता भी है व मरता भी. बच्चन जी इसी इंसान को अपनी कविताओं में तरह तरह से गाया है. संगीत शिक्षक नटराज ने कहा कि मधुशाला शराब पीकर नहीं लिखी गयी थी. बल्कि जिंदगी का सबसे कड़वा जहर पीकर लिखी गयी थी. समाज विज्ञान के शिक्षक सचिन भारती ने कहा कि जीवन के हर आघात पर उन्होंने कविता को ही पुकारा. पालने से पलंग तक, पनघट से मरघट तक, आंगन से चौराहे तक, एकांत से भीड़ तक जहां तक जितना कुछ जीवन है वह सब बच्चन की कविता है. हिन्दी शिक्षक ज्योतिष कुमार ने उन्हें कविता को जीने वाला कवि कहा.