अपराधियों की खौफ से वीरान हो गया बड़हिया बाजार
अपराधियों की खौफ से वीरान हो गया बड़हिया बाजार प्रतिनिधि, बड़हिया18 वीं शताब्दी से गुलजार रहा बड़हिया बाजार 21 वीं सदी में बेखैाफ अपराधियों के तांडव व प्रशासन की निष्क्रियता के कारण व्यापारियों के पलायन के कारण विरान होने की कगार पर पहुंच गया है. वर्ष 1985 के बाद अपराधियों के द्वारा इस इलाके में […]
अपराधियों की खौफ से वीरान हो गया बड़हिया बाजार प्रतिनिधि, बड़हिया18 वीं शताब्दी से गुलजार रहा बड़हिया बाजार 21 वीं सदी में बेखैाफ अपराधियों के तांडव व प्रशासन की निष्क्रियता के कारण व्यापारियों के पलायन के कारण विरान होने की कगार पर पहुंच गया है. वर्ष 1985 के बाद अपराधियों के द्वारा इस इलाके में रंगदारी वसूलने का प्रवृत्ति बढ़ी व विरोध करने पर व्यापारियों की हत्या से दहशतजदा व्यापारी यहां से पलायन करने लगे. जिससे बड़हिया बाजार पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने लगा. विदित हो कि 17 वीं शताब्दी में राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में भीषण अकाल के बाद मारवाड़ी समाज का एक बड़ा जत्था दक्षिण बिहार व उत्तर बिहार को जलमार्ग से जोड़ने वाले संधि स्थल पर अवस्थित बड़हिया ग्राम में रोजगार की तलाश में प्रवास करने लगा. दक्षिण बिहार की पहाड़ी से निकलने वाली 15 नदियां बड़हिया टाल क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद अस्तित्व विहीन हो जाती थी. जल मग्न टाल क्षेत्र का पानी हरूहर नदी के साथ बरसाती नाला के द्वारा गंगा में चला जाता था. टाल क्षेत्र में जमा पानी का फैलाव दक्षिण बिहार तक होता था व गंगा से जुड़े होने के कारण बड़हिया के रास्ते उत्तर बिहार का मालवाहक नौका दक्षिण बिहार के व्यापार केंद्र तक पहुंचता था. विस्तृत गंगा के दियारा की उपजाऊ मिट्टी में लाल मिर्च, मक्का, अंडी की भरपूर पैदावार होती थी. मारवाड़ के अकाल से त्रस्त मारवाड़ी समाज के लोग अपने साथ लोहा व रस्सी लेकर आये थे. मगर उनमें व्यापार की विलक्षण प्रतिभा थी. स्थानीय किसानों ने मारवाड़ी समाज को सम्मान के साथ यहां बसा लिया व अपनी सारी फसल मारवाड़ी समाज के यहां जमा कर उन्हें पर्याप्त पूंजी उपलब्ध करा दी. मारवाड़ी समाज के लोग किसानों के द्वारा दी गयी पूंजी से अपना व्यापार दूर-दूर तक फैलाने लगे. बड़हिया में जगनानी, कनोरिया, भीमसरीया, जलान आदि खानदान के लोगों पर स्थानीय किसानों ने भरपूर विश्वास किया. व्यापारी परिवार बड़हिया के चहुंमुखी विकास के लिए अपना योगदान देते रहे. समाज के लोग यहां की आवो हवा में पूरी तरह घुल-मिल गये. अस्सी के दशक में बड़हिया क्षेत्र में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा. श्री कृष्ण चौक के पास कॉलेज रोड में आटा मिल मालिक राम प्रसाद साव की हत्या अपराधियों ने कर दी. तदुपरांत जगनानी धर्मशाला परिसर स्थित भान बाबू जलान की हत्या रंगदारी नहीं देने के कारण कर दी गयी. प्रमुख कपड़ा व्यवसायी विजय कुमार जगनानी की हत्या, तदुपरांत पेट्रोल पंप व्यवसायी सह अधिवक्ता श्याम प्रसाद डालमियां की हत्या अपराधियों ने रंगदारी टैक्स नहीं देने की वजह से कर दी. उसके बाद कपड़ा व्यवसायी पिता-पुत्र विजय सुरेका व संजय सुरेका की सामूहिक हत्या, मिठाई दुकानदार राजेंद्र साव की हत्या, गल्ला व्यवसायी सुखदेव साव के दामाद संजय साव की हत्या रंगदारी नहीं देने की वजह से हुई. लोहिया चौक के शीतला मिष्टान भंडार के मालिक कैलू सिंह की हत्या रंगदारी के कारण हुई. इसी क्रम में विगत तीन मार्च को बड़हिया बाजार के किराना दुकानदार अजय चौरसिया की दुकान पर कर्मी रिंटू कुमार को गोली मारकर लाखों की लूट हुई. अपराधियों के खौफ से बड़हिया के सैकड़ों व्यापारी यहां से पलायन कर चुके हैं. आज बड़हिया बाजार अपराधियों की कहर व पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता की वजह से विरान हो गया है.