धान की बाली पर ठंड का असर

झाझा: प्रखंड क्षेत्र के खेतों में पहले तो सुखाड़ फिर फेलिन की असर से नगदी फसल को काफी नुकसान हुआ है. किसानों की रही-सही कसर को अचानक आयी ठंड भी पूरी करने में लग गयी है. प्रखंड क्षेत्र के एक नंबर सर्किल पैरगाहा, बोड़वा, करहरा आदि पूर्वी भाग के बलियाडीह , रजला आदि के क्षेत्रों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2013 6:27 AM

झाझा: प्रखंड क्षेत्र के खेतों में पहले तो सुखाड़ फिर फेलिन की असर से नगदी फसल को काफी नुकसान हुआ है. किसानों की रही-सही कसर को अचानक आयी ठंड भी पूरी करने में लग गयी है. प्रखंड क्षेत्र के एक नंबर सर्किल पैरगाहा, बोड़वा, करहरा आदि पूर्वी भाग के बलियाडीह , रजला आदि के क्षेत्रों में अल्पवृष्टि के चलते 50 प्रतिशत खेती भी ठीक से नहीं हो पायी. अच्छी फसल की आस में किसानों ने घर की सारी जमा पूंजी इस आस में लगा दिया कि पैदावार होगी तो बच्चें व अन्य परिवार के सदस्य भूखे तो नहीं रहेंगे. लगी फसल पर फ ेलिन की बुरी नजर पड़ी और खरीफ फसल में किसानों को भारी क्षति हो गयी. इसके अलावे मूंग, मकई की फसल पर भी बुरा असर पड़ा. किसान राम प्रसाद मंडल, केदार प्रसाद, सुकदेव यादव, रामकृपाल यादव, धनेश यादव ,धर्मदेव यादव, महादेव रजक,रामानंद सिंह, प्रभु महतो,ब्रrादेव रजक, तुलसी यादव आदि बताते हैं कि घर की सारी जमा पूंजी खेतों में लगा दिया. पैदावार की स्थिति अच्छी नहीं है. सरकार डीजल अनुदान भी सही तरीके से मुहैया नहीं कर्रवाई है. फसल बीमा क ी राशि भी नहीं मिल पा रही है. अब तो बच्चों के साथ दूसरों प्रदेशों में जाकर मजदूरी करने के अलावे कोई और रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है.

कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

प्रखंड क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा से फसल पर पड़े प्रभाव से कृषि वैज्ञानिक भी सहमत हैं. कृषि वैज्ञानिकों में कुमार चंदन, शंकर दयाल शर्मा, राजेश राज बताते हैं कि धान में बाली होने के लिए 30-35 डिग्री तापमान का होना जरूरी होता है और जब धान मिल्किंग अवस्था में आता है तो उसमें उक्त तापमान का बरकरार रहना आवश्यक है. अब तापमान 12-15 डिग्री है बाली भी नहीं निकल पायेगी. बाली हो भी जायेगी तो उसमें बढ़िया से दाना नहीं बन पायेगा.

Next Article

Exit mobile version