10 माह बाद भी प्रतिमा चाेरी का सुराग नहीं

लखीसराय/चानन : जिले के रामायणकालीन महत्व वाले धार्मिक स्थल ऋषि श्रृंगी धाम में मां पार्वती की प्रतिमा चोरी गये 10 माह गुजर गये, लेकिन प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण अब तक न तो प्रतिमा का कोई पता चल पाया और न ही मूर्ति चोर गिरोह के एक भी सदस्य की गिरफ्तारी हो पायी. मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2015 2:35 AM

लखीसराय/चानन : जिले के रामायणकालीन महत्व वाले धार्मिक स्थल ऋषि श्रृंगी धाम में मां पार्वती की प्रतिमा चोरी गये 10 माह गुजर गये, लेकिन प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण अब तक न तो प्रतिमा का कोई पता चल पाया और न ही मूर्ति चोर गिरोह के एक भी सदस्य की गिरफ्तारी हो पायी.

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के जन्म से पहले का यह मंदिर अपने धार्मिक महत्व के लिये विख्यात है. मान्यता है कि अयोध्या के राजा दशरथ ने यहीं ऋषि श्रृंगी की देखरेख में पुत्र प्राप्ति यज्ञ किये थे. भगवान श्री राम सहित अन्य भाइयों लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के जन्म के उपरांत यहां उनका मुंडन संस्कार भी किया गया था. बीते 19 फरवरी 2015 को मंदिर से माता पार्वती की प्रतिमा अज्ञात चोरों ने चोरी कर ली.

इस बाबत मंदिर के पुजारी नीरज कुमार झा ने कजरा थाना में आवेदन दिया था. इससे पूर्व भी 10 वर्ष पहले चोरों ने उक्त धाम से भगवान शंकर की प्रतिमा चुरा ली थी. लेकिन 15 दिन बाद ही प्रतिमा को धाम में आकर छोड़ गये. लोगों के मुताबिक जमुई स्थित भगवान महावीर के जन्म स्थान से भगवान महावीर की प्रतिमा चोरी होने के बाद स्थानीय प्रशासन से लेकर दिल्ली तक प्रशासनिक महकमा हरकत मेंआया.

सीबीआइ के हस्तक्षेप व प्रशासनिक दबाब के आगे मूर्ति तश्कर के हौसले पस्त हो गये. चंद दिनों में ही भगवान महावीर की मूर्ति बरामद हो गया.अगर श्रृंगी ऋषि धाम में भी मां पार्वती की प्रतिमा चोरी मामले में भी यहीं प्रशासनिक तत्परता होती तो प्राचीन प्रतिमा की बरामदगी संभव हो सकता था.

आज यह स्थल पूरी तरह असुरक्षित है. चानन प्रखंड के सीमा से लगे नक्सल प्रभावित कजरा थाना क्षेत्र के बुधौली बनकर पंचायत में पर्वत श्रंखलाओं की गोद से बसा यह प्राचीन तीर्थ स्थल पर्यटन स्थल में सुमार किये जाने की वाट जोह रहा है. श्रृंगी ऋषि धाम तक जाने के लिये व्यवस्थित सड़क तक नहीं है. सुरक्षा का आलम यह है कि दिन के उजाले में भी लोग यहां जाने से कतराते हैं. धाम पर इक्के-दुक्के लोग ही होते हैं.

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