नदी के तट पर खेलते हैं बच्चे

लखीसराय : पढ़ाई के साथ खेल का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है. इससे लोगों का मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक तीनों तरह का विकास होता है. विद्यालयों में खेल मैदान की अनिवार्यता के बावजूद अधिकांश जगहों पर संसाधन की घोर कमी है. शहर एवं गांव की हर गली में विद्यालय खुल गये हैं, लेकिन बच्चों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2016 4:27 AM

लखीसराय : पढ़ाई के साथ खेल का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है. इससे लोगों का मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक तीनों तरह का विकास होता है. विद्यालयों में खेल मैदान की अनिवार्यता के बावजूद अधिकांश जगहों पर संसाधन की घोर कमी है. शहर एवं गांव की हर गली में विद्यालय खुल गये हैं, लेकिन बच्चों के लिए खेल मैदान की उपलब्धता नहीं हैं. जिले में प्रतिभावान खिलाडि़यों की कमी नहीं है, पर उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं मिल पाता है.

जिले भर में अच्छे खेल मैदान का अभाव है. शहर के एक छोर पर समाहरणालय के समीप स्थित गांधी मैदान उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. मैदान की घेराबंदी नहीं होने के कारण यह पशु चारागाह नजर आता है. शहर के बीच स्थित केआरके मैदान पूरी तरह अतिक्रमण की चपेट में है. रख-रखाव के अभाव में यहां किसी भी खेल के आयोजन में परेशानी होती है. अगर जिले के खिलाडि़यों को अच्छे खेल मैदान उपलब्ध हो,

तो राष्ट्रीय एवं अंतर राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी उभर कर सामने आ सकते हैं. जिले में अनेक प्रतिभावान खिलाड़ी मौजूद हैं. उन्हें केवल तराशने की जरूरत है. अच्छा खेल मैदान उपलब्ध नहीं होने के कारण अनेक प्रतिभाओं को उभरने का मौका नहीं मिल पाता है. मैदान नहीं होने के कारण बच्चे किऊल नदी के तट को समतल कर वहां खेलते देखे जा सकते हैं. जिला प्रशासन के द्वारा इस और कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, इससे बच्चों की प्रतिभा कुंठित होती जा रही है.

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