सजने लगा बाजार. रंग, अबीर, पिचकारी की लगने लगी है स्थायी व अस्थायी दुकानें
अब परवान चढ़ने लगी है होली की उमंग जिले में होली को लेकर तैयारी दिखने लगी है. गांवों की गलियाें से लेकर चाैक-चौराहों पर होली के गीत गूंजने लगे हैं. लखीसराय : रंगों का त्योहार होली अपने परवान चढ़ने लगा है. इस बार 23 मार्च को मनाये जाने वाले इस त्योहार को लेकर तैयारी की […]
अब परवान चढ़ने लगी है होली की उमंग
जिले में होली को लेकर तैयारी दिखने लगी है. गांवों की गलियाें से लेकर चाैक-चौराहों पर होली के गीत गूंजने लगे हैं.
लखीसराय : रंगों का त्योहार होली अपने परवान चढ़ने लगा है. इस बार 23 मार्च को मनाये जाने वाले इस त्योहार को लेकर तैयारी की जा रही है. रंग, अबीर, पिचकारी आदि की कई स्थायी व अस्थायी दुकानें बाजारों में सजने लगी हैं. किराना व मिठाई दुकानदार भी होली की तैयारी में लगे हैं. परदेसी होली के मौके पर अपने घर लौटने लगे हैं. ट्रेनों में भी होली को लेकर भीड़ देखी जा रही है. लोगों को अपने घर लौटने के लिए ट्रेनों में आरक्षण नहीं मिल पा रहा है. इधर गांव की गलियों से लेकर शहर के चौक-चौराहे पर सभी जगह होली की गीत जोर पकड़ चुकी है.
होलिका दहन की हो रही तैयारी. फाल्गुन माह के पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है. लोग इस ज्वाला को देखने के बाद ही भोजन करते हैं. इस बार 22 व 23 मार्च दोनों ही दिन पूर्णिमा होने की वजह से होलिका दहन को लेकर संशय की स्थिति है. कैलेंडर के मुताबिक 22 मार्च को होलिका दहन व 23 मार्च को होली है. होलिका दहन में लोग लकड़ियों को एक जगह इकट्ठा करते हैं. ध्यान रखा जाता है यह स्थान जहां लकड़ियों इकट्ठी हो रही है निवास से पश्चिम दिशा में हो. निश्चित तिथि व मुहूर्त में उस स्थान को पवित्र जल से शुद्ध कर वहां घर से लायी गयी लकड़ियां, उपले आदि स्थापित कर प्रदोष काल में उसकी पूजा करने के बाद अग्नि प्रज्वलित करने का चलन है.
माना जाता है कि ऐसा करने से घर के विकार व दरिद्र आदि नष्ट हो जाते है.
नयी फसल अर्पित करने की है परंपरा. होलिका दहन की ज्वाला में नयी फसल डालने की परंपरा है. मान्यता है कि इस उक्त ज्वाला में पके नवान्न ग्रहण करने से शरीर के विकार नष्ट होते हैं. होलिका दहन में पुआ वगैरह भी चढ़ा कर पूजने का चलन है. बाजारों में कई सस्ते रंग उपलब्ध हैं जिसमें केमिकल मिला होता है. इससे त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है.
एक्जीमा, दमा आदि के मरीजों को यह ज्यादा परेशान कर सकता है. होली के मौके पर युवा गोल्डन व सिल्वर कलर का पेंट इस्तेमाल करते हैं जो त्वचा व शरीर के लिए हानिकारक है. रासायनिक रंग के इस्तेमाल से त्वचा में जलन, खुजली आदि हो सकती है. रंग खेलने के पहले त्वचा पर क्रीम लगायें. रंग लगी त्वचा पर साबुन ना लगायें व रंग धोने के बाद चेहरे पर क्रीम लगाये.
असमंजस की स्थिति कायम: लखीसराय. होली के त्योहार को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति है. कुछ जगहों पर 23 तो कहीं 24 मार्च को होली का त्योहार मनाने की तैयारी की जा रही है. छोटी होली या होलिका दीपक के नाम से भी मशहूर होलिका दहन 22 मार्च की रात तीन बज कर 18 मिनट के बाद ही होगा. भद्राकाल होने के कारण इससे पहले होलिका दहन शुभ नहीं है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, तभी होलिका दहन करना चाहिए. भद्रा, जो पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में व्याप्त होती है, उस समय होलिका पूजा व होलिका दहन नहीं करना चाहिए. सभी शुभ कार्य भद्रा में वर्जित हैं. 22 मार्च को भद्रा अवधि दिन 2:29 से रात्रि 03:18 तक है. इसके बाद ही होलिका दहन किया जायेगा.