रेलयात्री परेशान. शुरू हो गया है घर आये परदेसी के लौटने का सिलसिला

ट्रेनों में वेटिंग, मुश्किल है वापसी होली का त्योहार मनाने विभिन्न महानगरों में रोजी-रोटी के लिए रह रहे जिले के लोग घर तो आये लेकिन वापस होने में परेशानी हो रही है. िवभिन्न महानगरों तक जानेवाली ट्रेनों में नो रूम की स्थिति है. किऊल से दिल्ली तक जाने के िलए ट्रेनों में अभी रिजर्वेशन नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2016 6:07 AM

ट्रेनों में वेटिंग, मुश्किल है वापसी

होली का त्योहार मनाने विभिन्न महानगरों में रोजी-रोटी के लिए रह रहे जिले के लोग घर तो आये लेकिन वापस होने में परेशानी हो रही है. िवभिन्न महानगरों तक जानेवाली ट्रेनों में नो रूम की स्थिति है. किऊल से दिल्ली तक जाने के िलए ट्रेनों में अभी रिजर्वेशन नहीं मिल रही है. वहीं अबतक मात्र दो स्पेशल ट्रेन इस रुट से गुजर रही है. इससे रेलयात्रियों की परेशानी कम होती नहीं दिख रही है.
लखीयराय : रंगों का त्योहार होली में अन्य राज्यों में काम पर लौटनेवाले बिहारी भाइयों को अपने काम पर लौटने में परेशानी हो रही है. अधिकतर ट्रेनों में वेटिंग और नो रूम की स्थिति है. इसकी वजह से होली की छुट्टियां खत्म होने के बाद लोगों को काम पर वापस लौटने की चिंता सताने लगी है. किऊल जंकशन से दिल्ली जाने के लिए ट्रेनों में आरक्षण नहीं मिल रहा है.
पटना से स्पेशल ट्रेन का ऑप्शन है उपलब्ध
ट्रेन 02365 पटना-आनंद विहार : 27 मार्च को यह ट्रेन रात 08.10 बजे पटना जंकशन से खुले कर अगले दिन दोपहर 02.20 बजे आनंद विहार पहुंचेगी.
ट्रेन 02366 आनंद विहार से पटना : 27 व 28 मार्च को यह ट्रेन 6:45 बजे दिल्ली से चल कर अगले दिन 12 बजे पटना पहुंचेगी.
कहते हैं अधिकारी
किऊल के स्टेशन प्रबंधक जेवियर एक्का ने बताया कि होली को लेकर इस रूट से होकर गुजरनेवाली स्पेशल ट्रेनों की कोई लिखित जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. इसलिए इस विषय में कुछ भी बता पाना संभव नहीं है. अब तक दो स्पेशल ट्रेन इस मार्ग से होकर गुजरी है.
होली के बाद बाजारों में लौटी चहल-पहल
लखीसराय. होली की खुमारी के बाद शनिवार को शहर में दुकानें सामान्य दिनों की भांति खुली. हालांकि बाजार में भीड़-भाड़ कम ही रही लेकिन लोग अपने रोजमर्रा की चीजों की खरीदारी करते नजर आये. गुरुवार को संपन्न होनेवाले रंगों का त्योहार होली के अगले दिन शुक्रवार को भी अधिकांश लोगों पर होली का खुमार छाया रहा. बाजार में सुनापन छाया रहा और दुकानें भी कम खुली थी.

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